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हमारी माताश्री अपने जमाने की प्रिया वारियर थीं, अपनी एक गोली और व्हिस्की के पैग से हमारे पिताश्री को ऐसा घायल किया था कि पिताश्री घरवालों के आगे विद्रोह करने को मजबूर हो गए थे। खैर घरवाले माने, शहर माना और अब तो देश भी मान ही गया।
आपको अपने दिल की बात बताना चाहता हूँ, रात में मम्मी मेरे कमरे में आकर रोई तब मैं लगभग व्हिस्की से नहा ही चुका था। उन्होंने क्या बोला क्या नहीं, मैथ्स जैसा हवा में निकल गया, हमने हां में ऐसे सर घुमाया, ऐसे सर घुमाया कि जगने के बाद तक घूम ही रहा है। खैर, Today morning, I got up at night.... भाई मज़ा आ गया। मैं यही मजा संसार के सारे लोगों को देना चाहता हूं, मैं चाहता हूं संसार के किसान ठीक उसी प्रकार के गांजे की खेती करें जो मैंने कल फूंका था। देश के हर घर में मेरी तरह, मजेदार नौजवान होंगे, थाईलैंड जाएंगे आत्मचिंतन करने और आजीवन ब्रम्हचर्य का पालन ठीक वैसे ही करेंगे जैसे हम कर रहे हैं। मम्मी ने बताया नहीं था बड़े भैया के बारे में, बड़ा आह्लाद हो रहा है कि हमारे एक मुंहबोले बड़े भैया भी हैं। ताज्जुब की बात तो ये है वो हमसे अलग दिखने के चक्कर में ही लगे रहते हैं, गजब हद है मतलब।
अब यूँ देखिए, हमने मूंछ रखनी छोड़ी तो उन्होंने जंगल उगा लिया। हमने पॉलिटिक्स जॉइन की तो उन्होंने अन्ना हजारे के साथ आन्दोलन कर लिया। हमने दिल्ली में सरकार बनाई तो उन्होंने हमें हटाकर अपनी सरकार बना ली बताइये। शुरुआत में तो हम इसे दक्षिणपंथी संगठनों की बी टीम समझते थे लेकिन जब उन्होंने हमारे समर्थन से दिल्ली में जनता का काटा, हमें अंदाजा हो गया कि भाई आखिर भाई होता है। घर घर होता है भले ही थोड़ी बहुत नाराजगी क्यों न हो? लेकिन भैया जो इतने कांड कर चुके थे उनको कैसे भूलता। तभी हमें कहीं से पता चला कि भाभी के अलावा भी भिया की मोहतरमा हैं, और वो उन्हें प्यार से "आलू" बुलाती हैं। हमारे शरीर में बिजली कौंध गई, हमने सोचा जिस आलू ने दिल्ली की जनता को बेवकूफ बनाया है हम उसी आलू को जनता के सामने पेश करेंगे।
उसके बाद हमारा कालजयी भाषण TV पर आया जिसमें हमने लोगों को औद्योगिक क्रांति के लिए प्रोत्साहित किया कि कैसे हम वो मशीन बना सकते हैं जिसमें एक तरफ से आलू डालने पर दूसरी तरफ से सोना बनकर निकलेगा। दरअसल इंडिया में ब्लाइंड फॉलोवर तो होते ही हैं, जीजाजी ने बताया था कि कैसे घरवालों को निपटाकर सारी जायदाद पर कब्जा किया जा सकता है। दरअसल, आलू से सोना बनाने वाली योजना भैया का कचूमर बनाने के लिए ही थी। खैर, भैया का बाल भी बांका न हुआ, लेकिन ऐसा कुछ हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। भैया के ऊपर मानहानि का केस हुआ, भैया की अपने नाम के अनुरूप फट के फ्लावर हो गयी कमल के फूल की तरह। तभी हमें मम्मी ने टसुए बहा बहा कर समझाया कि भाई भाई होता, हमें कपलु या रामु को केस लड़ने के लिए भेज देना चाहिए। रामू ने भैया के हाथ में करोड़ो का बिल थमाया, फलस्वरूप भैया की हालत उस निराश रोगी जैसी हो गई जिसके विज्ञापन फलाने हक़ीमखाने में लगे रहते हैं।
उसके बाद भी भैया को समझ में नहीं आया कि हम उनकी मदद ही कर रहे हैं संघियों के खिलाफ। भैया ने इसी बीच अपने पुराने दैहिक सम्बन्धों का परित्याग कर दिया था, पतिव्रता प्रेयसी एक सेक्युलर के आरोपों के चक्कर में फंसकर निकाल दी गई। चासनी वाले भैया और घरेलू वकील भी आंदोलन की भेंट चढ़ गए अब बारी आई जलमंत्री जी की जिन्होंने भैया को मेरे आदमी से मिलते देखकर चिल्लाना शुरू ही किया था कि हमारे युगपुरुष भैया ने गुंडे भेजकर उनको भी पार्टी से निकाल दिया। बैटमैन जी का ट्रांसफर दक्षिण भारत कर दिया गया और हमने अपना आदमी अजगर लपेटकर भैया के खेमे में पहुंचा दिया। अब भैया ठीक वैसा ही कर रहे हैं जैसा हम कह रहे हैं। "बाकी सब सपने होते हैं, अपने तो अपने होते हैं" ये बात भैया ने सिद्ध कर दी है। अब हमारे बीच सारे गिले शिकवे समाप्त हो चुके हैं, उन्होंने हमें पंजाब सौंप दिया हमने उन्हें दे दी दिल्ली। जी हां! आप लोग सही समझे हैं ये माफी नामा अपने ही दिमाग की उपज है, वरना अन्ना हजारे समेत दिल्ली को बेवकूफ बनाने वाला प्राणी खुद कैसे बेवकूफ बनता। अब तो तुम लोग मुझे पप्पू कहना बन्द कर दो।
पप्पू की कलम से
"भारत के शहजादे"
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