सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रामजन्मभूमि विवाद का इतिहास भाग-2


पहला भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
 रामजन्मभूमि विवाद का इतिहास भाग-1

पूर्वाभास: पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का कैसे निर्माण हुआ, और पानीपत युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद कैसे अयोध्या में लूटपाट की गई, मुगलों के आगमन और राणा सांगा की हार तक, अब आगे पढ़ें

मुगल बादशाह बाबर ने अपने सेनापति मीरबाकी खान को जलालशाह से मिल कर रामजन्मभूमि मन्दिर को तोड़ने की योजना बनाने के लिए अयोध्या भेजा। मीरबाकी खान और जलालशाह ने मंदिर के विध्वंस का पूरा कार्यक्रम बनाया जिसमे ख्वाजा कजल अब्बास मूसा भी शामिल हो गया। उधर बाबा श्यामनन्द जी अपने मुस्लिम शिष्यों की करतूत देख के बहुत दुखी हुए और अपने निर्णय पर उन्हें बहुत पछतावा हुआ। भगवान का मंदिर तोड़ने की योजना के एक दिन पूर्व दुखी मन से बाबा श्यामनन्द जी ने रामलला की मूर्तियाँ सरयू में प्रवाहित किया और खुद हिमालय की और तपस्या करने चले गए। मंदिर के पुजारियों ने मंदिर के अन्य सामान आदि हटा लिए और वे स्वयं मंदिर के द्वार पर खड़े हो गए उन्होंने कहा की रामलला के मंदिर में किसी का भी प्रवेश हमारी मृत्यु के बाद ही होगा। जलालशाह की आज्ञा के अनुसार उन चारो पुजारियों के सर काट लिए गए, उसके बाद तो देशभर के हिन्दू राम जन्मभूमि के कवच बन कर खड़े हो गए।

इस्लामिक आक्रांताओं से मन्दिर बचाने के लिए भीटी के राजा महताब सिंह अपनी छोटी सेना के साथ खड़े हो गए और उनके नेतृत्व में आसपास के असैनिक हिन्दू भी उनकी सेना के साथ सम्मलित हो गए यह युद्ध 15 दिन चला और राजा महताब सिंह इस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हो गए।इतिहासकार कनिंघम अपने लखनऊ गजेटियर के 66 वें अंक के पृष्ठ 3 पर लिखता है की एक लाख चौहत्तर हजार हिंदुओं की मारे जाने के पश्चात मीरबाँकी अपने मंदिर ध्वस्त करने के अभियान मे सफल हुआ और उसके बाद जन्मभूमि के चारो और तोप लगवाकर मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया।"

 अयोध्या मे बाबरी मस्जिद का निर्माण और बाबर की कूटनीति:

जैसा ऊपर बताया जा चुका है की जलालशाह की आज्ञा से मीरबाँकी खान ने तोपों से जन्मभूमि पर बने मंदिर को गिरवा दिया और मस्जिद का निर्माण मंदिर की नींव और मंदिर निर्माण के सामग्रियों से ही शुरू हो गया, कहते हैं कि मस्जिद की दीवार को जब मजदूरो ने बनाना शुरू किया तो पूरे दिन जितनी दीवार बनती रात में अपने आप वो गिर जाती, सबके मन मे यह प्रश्न था की ये दीवार गिराता कौन है ?? मंदिर के चारो ओर सैनिको का पहरा लगा दिया गया, महीनो तक प्रयास होते रहे लाखों रूपये की बर्बादी हुई मगर मस्जिद की एक दीवार तक न बन पाई। भारत के दो इस्लामिक गद्दारों ख्वाजा कजल अब्बास मूसा और जलालशाह की सारी सिद्धियाँ उस समय धरी की धरी रह गयी, सारे प्रयासों के पश्चात भी मस्जिद की एक दीवार भी न बन पाने की स्थिति में वजीर मीरबाँकी खान ने विवश होकर बाबर को इस समस्या के बारे में एक पत्र लिखा। बाबर ने मीरबाँकी खा को पत्र भिजवाया की मस्जिद निर्माण का काम बंद करके वापस दिल्ली आ जाओ । एक बार पुनः जलालशाह ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए ये सन्देश भिजवाया की बाबर अयोध्या आये।

जलालशाह का पत्र पाकर बाबर वापस अयोध्या आया और जलालशाह और ख्वाजा कजल अब्बास मूसा से इस समस्या से निजात पाने का तरीका पूछा। ख्वाजा कजल अब्बास मूसा और जलालशाह  ने सुझाव दिया की ये काम इस्लाम से प्राप्त की गयी सिद्धियों के वश का नहीं है, अब नीति से काम लेते हुए हमे हिन्दू संतो से वार्ता करनी चाहिए वही अपने प्रभाव और सिद्धियों से कुछ रास्ता निकाल सकते हैं।

बाबर ने हिन्दू संतो के पास वार्ता का प्रस्ताव भेजा। उस समय तक जन्मभूमि टूट चुकी थी और अयोध्या को खुर्द मक्का बनाने के लिए कब्रों से पाटना शुरू किया जा चूका था, पूजा पाठ भजन कीर्तन पर जलालशाह ने प्रतिबन्ध लगवा दिया था। इन विषम परिस्थितियों में हिन्दू संतो ने बाबर से वार्ता करने का निर्णय लिया जिससे काम जन्मभूमि के पुनरुद्धार का एक रास्ता निकाला जा सके।

बाबर ने अब धार्मिक सद्भावना की झूठी कूटनीति चलते हुए संतो से कहा की आप के पूज्य बाबा श्यामनन्द जी के बाद जलालशाह उनके स्वाभाविक उत्तराधिकारी है और ये मस्जिद निर्माण की हठ नहीं छोड़ रहे हैं, आप लोग कुछ उपाय बताएं उसके बदले में हिंदुओं को पुजा पाठ करने मे छूट दे दी जाएगी।

हिन्दू महात्माओं ने जन्मभूमि को बचाने का आखिरी प्रयास करते हुए अपनी सिद्धि से इसका निवारण बताया की यहाँ एकपूर्ण मस्जिद बनाना असंभव कार्य है। मस्जिद के नाम से हनुमान जी इस ढांचे का निर्माण नहीं होने देंगे ।इसे मस्जिद का रूप मत दीजिये। इसे सीता जी (सीता पाक अरबी मे ) के नाम से बनवाइए, और भी कुछ परिवर्तन कराये मस्जिद का रूप न देकर यहाँ हिन्दू महात्माओं को भजन कीर्तन पाठ की स्वतन्त्रता दी जाए चूकी जलालशाह अपनी मस्जिद की जिद पर अड़ा था अतः महात्माओं ने सुझाव दिया की एक दिन मुसलमान शुक्रवार के दिन यहाँ जुमे की नमाज पढ़ सकते हैं।

जलालशाह को हिंदुओं को छूट देने का विचार पसंद नहीं आया मगर कोई रास्ता न बन पड़ने के कारण उन्होने हिंदु संतों का ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। मंदिर के निर्माण के प्रयोजन हेतु दीवारे उठाई जाने लगी और दरवाजे पर सीता पाक स्थान फारसी भाषा मे लिखवा दिया गया जिसे सीता रसोई भी कहते हैं। अब वो स्थान न तो पूर्णरूपेण मंदिर था न ही मस्जिद। मुसलमान वहाँ शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करते और बाकी दिन हिंदुओं को भजन और कीर्तन की अनुमति थी। उस मस्जिद को नाम दिया गया "मस्जिद ऐ जन्मस्थान", मस्जिद तो बन गयी लेकिन वहाँ अजान देने के लिए मीनारे और वजू करने के लिए स्थान कभी ना बन सका।

क्रमशः

सन्दर्भ और आभार : आशुतोष की कलम से, प्राचीन भारत , लखनऊ गजेटियर , लाट राजस्थान , रामजन्मभूमि का इतिहास(आर जी पाण्डेय) , अयोध्या का इतिहास(लाला सीताराम) , बाबरनामा

नोट : श्रृंखला के अगले भाग में पढ़े जन्मस्थान पर मन्दिर बनने का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा, और हिन्दुओ ने राम जन्मस्थान पाने के लिए आगे क्या संघर्ष किये कमेंट करके  इस विषय पर अपनी रुचि बताते रहे। यह पोस्ट मेल में प्राप्त करने के लिए ब्लॉग की सदस्यता लें।


अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट का लिंक फेसबुक, ट्विटर , व्हाट्सएप आदि सोशल साइट्स पर जरूर शेयर करे।









टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारत को अमेरिका पर विश्वास क्यों नहीं करना चाहिए?

ऐसा शीर्षक पढ़कर बहुत सारे लोगों को कुछ अटपटा लग सकता है, ऐसा इसलिए है या तो वो लोग अंतरराष्ट्रीय राजनीति की गहरी जानकारी नहीं रखते या फिर उनका जन्म 90 के दशक में हुआ होगा। USSR के पतन और भारत के आर्थिक सुधारों के बाद भारत का राजनैतिक झुकाव अमेरिका की ओर आ गया है लेकिन इसके पहले स्थिति एकदम विपरीत थी। भारत रूस का राजनैतिक सहयोगी था, रूस कदम कदम पर भारत की मदद करता था। भारत की सरकार भी समाजवाद से प्रेरित रहती थी और अधिकतर योजनाएं भी पूर्णतः सरकारी होती थीं, निजी क्षेत्र बहुत ही सीमित था। ये सब बदलाव 1992 के बाद आये जब भारत आर्थिक तंगी से गुजर रहा था और उसका सहयोगी USSR (सोवियत संघ रूस) विखर चुका था, तत्कालीन प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को इस परेशानी से निकलने का कोई विचार समझ में नहीं आ रहा था अतएव भारत ने विश्वबैंक की तरफ रुख किया और विश्वबैंक की सलाह पर ही निजी क्षेत्रों में विस्तार किया गया और भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था बना दिया गया। यहीं से शुरुआत हो जाती है भारत की नई राजनीति की। जहां तक मेरे राजनैतिक दृष्टिकोण की बात है मैं ये पोस्ट बस इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर ...

Selective Journalism का पर्दाफाश

लोकतंत्र के चार स्तंभ होते हैं कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और मीडिया जो इस देश को लोकतान्त्रिक तरीके से चलाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। कार्यपालिका जवाबदेह होती है विधायिका और जनता के प्रति और साथ ही दोनों न्यायपालिका के प्रति भी जवाबदेह होते है। इन तीनो की जवाबदेही भारतीय संविधान के हिसाब से तय है, बस मीडिया के लिए कोई कानून नहीं है, अगर है तो इतने मज़बूत नहीं की जरूरत पड़ने पर लगाम लगाईं जा सकें। 90 के दशक तक हमारे देश में सिर्फ प्रिंट मीडिया था, फिर आया सेटेलाइट टेलीविजन का दौर, मनोरंजन खेलकूद मूवी और न्यूज़ चैनल की बाढ़ आ गयी. आज  देश में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनल को मिला के कुल 400 से अधिक न्यूज़ चैनल मौजूद है जो टीवी के माध्यम से 24 ×7 आपके ड्राइंग रूम और बैडरूम तक पहुँच रहे हैं। आपको याद होगा की स्कूल में हम सब ने एक निबन्ध पढ़ा था "विज्ञान के चमत्कार" ...चमत्कार बताते बताते आखिर में विज्ञान के अभिशाप भी बताए जाते है. ठीक उसी प्रकार जनता को संपूर्ण जगत की जानकारी देने और उन्हें जागरूक करने के साथ साथ मीडिया लोगो में डर भय अविश्वास और ख़ास विचारधार...

Nirav Modi: All you need to know...!!

🔰Nirav Modi: One of top 100 richest person in India. He was ranked 84 on the Forbes Richest List. Forbes magazine described him as the founder of the $2.3 billion (in revenues) of Firestar Diamond. His current net worth is $1.73 billion. He belongs to a family of Diamond merchants. His father name is Deepak Modi, a diamond businessman based in Belgium. 🔰Nirav Modi is school dropout and son of a diamond trader.(School dropouts are not always Pakoda sellers). 🔰Nirav Modi brand is all over the world, including the 2 in US, two in India, two in Hong Kong, Beijing, London, Singapore, Macau. 🔰Priyanka Chopra, who was the brand ambassador of his brand. 🔰Brand: Firestar Diamond and Nirav Modi. 🔰Nirav modi brother Neeshal Modi is husband of Mukesh Ambani’s niece, Isheta Salgaocar’s. (Daughter of Mukesh's sister Dipti). 🔰36 firms linked to Gitanjali Gems are under probe post-PNB scam. 🔰PNB Manager who issued Letter of Undertaking to Nirav Modi, was Gokulnath Shetty(on...