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राज्य सभा चुनाव

फोटो क्रेडिट : northbridgetimes.com 

राज्य सभा की 59 सीटों के लिए कल 23 मार्च को चुनाव होने जा रहा है .कल ही शाम तक नतीजों के साथ राज्य सभा की नई तस्वीर सबके सामने आ जायेगी. चूंकि ये इलेक्शन कम और सिलेक्शन ज्यादा होता था इसलिए आमतौर से राज्य सभा चुनाव खास इंटेटेस्ट का विषय नहीं होता था पर गुजरात में अहमद पटेल के चुनाव को जिस तरह अमित शाह ने रोचक बना दिया था उसके बाद जनता की इन चुनावों को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है.


दूसरा कारण ये भी है वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव से पूर्व ये चुनाव तब होने जा रहा था जब देश मे पुराने गठबंधन टूट रहे है और नये रिश्ते जुड़ रहे है .इसलिए ये कह पाना कठिन है कि किसका वोट किसको जाता है और यही चीज़ इन्हें दिलचस्प बना रही है सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के 27 उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे , कार्यकाल समाप्त होने वाले सभी आठ केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में है ..जहां कुछ स्थानों पर टक्कर है,वहीं अधिकांश उम्मीदवारों के निर्विरोध आने की संभावना है.


सबसे पहले बात करते हैं बीजेपी की जिसके 27 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. रिटायर होने वाले सभी आठ केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली यूपी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत एमपी, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर महाराष्ट्र, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बिहार, कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और रसायन राज्यमंत्री मनसुख भाई मंडाविया गुजरात से उम्मीदवार होंगे. इसके अलावा बीजेपी के संगठन से भी कई नेता राज्यसभा पहुंचेंगे. पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव राजस्थान, डॉक्टर अनिल जैन यूपी और सरोज पांडे छत्तीसगढ़ से, पार्टी प्रवक्ता अनिल बलूनी उत्तराखंड और जीवीएल नरसिम्हा राव यूपी से, केरल बीजेपी के नेता वी मुरलीधरन महाराष्ट्र से राज्यसभा आएंगे.

बिहार की बात करें तो वहां से भी सभी 6 उम्‍मीदवार निर्विरोध चुने जाएंगे जिनमें से जेडीयू के दो उम्‍मीदवार वशिष्‍ठ नारायण सिंह और महेंद्र प्रसाद, बीजेपी से रविशंकर प्रसाद, राजद से मनोज झा व अश्‍फाक करीम और कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल हैं.

मध्‍यप्रदेश में भी कोई मुकाबला होता नहीं दिख रहा है. बीजेपी के चारों और कांग्रेस का एक उम्‍मीदवार आसानी से राज्‍यसभा जाता दिख रहा है. बीजेपी यहां से थावरचंद गहलोत, धर्मेंद्र प्रधान, अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी को राज्‍यसभा भेज रही है तो कांग्रेस ने राजमणि पटेल को यहां से टिकट दिया है.

महाराष्‍ट्र से भी सभी 6 उम्‍मीदवार बिना किसी मुश्किल के ऊपरी सदन पहुंच रहे हैं. बीजेपी से नारायण राणे, प्रकाश जावड़ेकर और वी मुरलीधरन, कांग्रेस से कुमार केतकर, एनसीपी से वंदना चव्‍हाण को तो शिवसेना अनिल देसाई को राज्‍यसभा भेज रही है. ठीक इसी प्रकार छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा ,आंध्र प्रदेश ,झारखंड और बेंगाल के छुटपुट मुकाबला को छोड़ दे तो खास मुक़ाबले की उम्मीद नहीं है .. असल मुक़ाबला होने जा रहा है देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ..


 उत्तर प्रदेश का गणित उत्तर प्रदेश से कुल 10 उम्‍मीदवार इस बार राज्‍यसभा पहुंचेंगे. बीजेपी के 8 उम्‍मीदवार अरुण जेटली, अशोक बाजपेयी, विजय पाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता करदम, अनिल जैन, हरनाथ सिंह यादव और जीवीएल नरसिम्‍हा राव राज्‍यसभा पहुंच रहे हैं तो समाजवादी पार्टी ने जया बच्‍चन को अपना एकमात्र टिकट दिया है. बसपा की ओर से भीमराव अंबेडकर को उम्‍मीदवार बनाया गया है जबकि निर्दलीय उम्‍मीदवार अनिल अग्रवाल का बीजेपी समर्थन कर रही है. राज्‍य में कुल 403 सीटें हैं जिनमें से बीजेपी व सहयोगी दलों के पास 324 सीटें हैं. सपा के पास 47, बसपा के पास 19 और कांग्रेस के पास 7 सीटें हैं. ऐसे में बीजेपी के 8 उम्‍मीदवारों और सपा की ओर से जया बच्‍चन का तो राज्‍यसभा जाना तय लग रहा है. लेकिन 10वीं सीट के लिए कड़ा मुकाबला हो सकता है क्‍योंकि सपा के बचे 10 वोट और कांग्रेस के 7 वोट भी बसपा को मिल जाते हैं तो भी उसे 1 वोट की जरूरत होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी के इस चुनाव में वोट डालने पर रोक लगा दी है।  ऐसे में दिलचस्‍प मुकाबल देखने को मिल सकता है. चाणक्य की वापसी दो लोकसभा सीटों पर अहम उपचुनाव हार जाने के बाद BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की इस शह और मात के खेल में वापसी होती दिख रही है , जब समाजवादी पार्टी के सात विधायकों ने एक महत्वपूर्ण पार्टी बैठक में शिरकत नहीं की. राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा होना समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के लिए अच्छी ख़बर नहीं है, और न ही यह बहुजन समाज पार्टी, यानी BSP सुप्रीमो मायावती के लिए खुशख़बरी है, जिनका संसद के उच्च सदन में एक सीट पाने का ख्वाब टूटता नज़र आने लगा है. कुछ ही दिन पहले अखिलेश यादव और मायावती ने 25 साल पुरानी प्रतिद्वंद्विता को भुला दिया था, और BJP का गढ़ मानी जाने वाली दो लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जीत गए थे. इसके बाद राज्यसभा चुनाव के दौरान 'इस हाथ दे, उस हाथ ले' के समझौते के तहत अखिलेश यादव के विधायक मायावती की पार्टी को समर्थन देने वाले हैं. राज्यसभा में वर्तमान में बीजेपी के 58 और कांग्रेस के 54 सांसद हैं. राज्यसभा चुनाव के बाद यह तस्वीर बदल सकती है. बीजेपी के अब 69 से 70 सांसद हो सकते हैं. यह यूपी के राज्यसभा चुनाव परिणाम से तय होगा. जबकि कांग्रेस के सांसदों की संख्या चुनाव पश्चात 50 हो सकती है. कुल 59 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी द्वारा इनमें से 28 से 29 सीटें जीतने की संभावना है. फिलहाल इनमें से 17 सीटें उसके पास हैं. यानी कि उसे 11 से 12 सीटों की बढ़त मिल सकती है. कांग्रेस की इन सीटों में से 13 सीटें हैं और उसकी 9 सीटें फिर से हासिल करने की संभावना है. इस तरह उसे 4 सीटों का नुकसान हो सकता है.



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