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नवंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राहुल गांधी : कट्टर जनेऊधारी हिन्दू

कांग्रेस उपाध्यक्ष, गांधी परिवार के युवराज और मोदी जी की भाषा मे बोले तो शहजादे राहुल गांधी आज गैरहिन्दू हिन्दू मुद्दे पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। कुछ दिन पूर्व राहुल बाबा ने कहा था कि वो शिवभक्त है और संयोग देखिये कल जो शिवजी के मंदिर में हुआ उसके बाद भक्त तो छोड़िए उनके हिन्दू होने पर ही सवाल उठने लग गया। दरअसल बात यह हैं कि सोमनाथ मंदिर में गैर हिन्दुओ को सिग्नेचर करने होते है और यहां राहुल गांधी जी नाम से कोई चिड़िया उड़ा गया। उधर राहुल गांधी के नाम की चिड़िया क्या उड़ी मानो कांग्रेस पार्टी के तोते उड़ गए, आनन फानन में कांग्रेस प्रवक्ताओं की फौजो ने प्रेस कांफ्रेंस कर युद्ध छेड़ दिया ठीक वैसे जैसे करणी सेना ने संजय लीला भंसाली के खिलाफ छेड़ रखा हैं। कांग्रेस के प्रखर प्रवक्ता राजदीप सुरजेवाला जी ने केजरीवाल सर के अंदाज में खुलासा करते हुए समस्त पृथ्वी के चराचर को यह कहकर अचंभित कर दिया कि राहुल गांधी जी न सिर्फ हिन्दू है बल्कि जनेऊधारी भी है,  खैर यह बात और है कि जनेऊ किस बगल पहनते है पूछने पर राहुल गांधी बगले झांकने लगेंगे। खैर अब राहुल गांधी जी को

अभिव्यक्ति की स्वतंन्त्रता का डबल स्टैण्डर्ड

मत कहो आकाश में कोहरा घना है, ये किसी की व्यक्तिगत आलोचना है। दुष्यंत कुमार की कविता की ये पंक्तियां आज जीवंत हो उठती है जब अभिव्यक्ति की आज़ादी पर देश मे लंबी बहस चल रही हो, फिल्मकारों को क्या दिखाना चाहिए क्या नही दिखाना चाहिए? पत्रकारो को क्या लिखना और बोलना चाहिए क्या नहीं इस मुद्दे पर तमाम अखबारों और न्यूज़ चैनल पर घण्टो डिबेट हो चुकी हो। दो महीने पूर्व का वाकया है गौरी लंकेश की हत्या हुई थी, जिस पर हमने ब्लॉग भी लिखा था और आप लोगो का भरपूर आशीर्वाद भी मिला, यह पोस्ट आज भी हमारे ब्लॉग की सबसे ज्यादा पेजव्यू वाली पोस्ट हैं। वह लेख पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करे। गौरी लंकेश हत्याकांड : वामपंथ की सच्चाई  लेकिन आज की तारीख में गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच की यह स्थिति हैं कि आज तक कर्नाटक राज्य पुलिस उस केस को सॉल्व नहीं कर पायी, लेकिन उस निठल्ली सरकार से सवाल करने के बजाय पहले दिन से ही पत्रकारो ने गौरी लंकेश की हत्या के लिए दक्षिणपंथी संगठनों से लेकर प्रधानमंत्री तक को कटघरे में खड़ा कर दिया था। वही दूसरी तरफ, गौरी लंकेश की हत्या के दिन से लेकर आज की तारीख तक पचासों संघ क

चित्तौड़ गढ़ : रानी पद्मावती का जौहर

राजस्थान का चित्तौड़गढ़ राजपूतो की बहादुरी स्वाभिमान बलिदान का जीता जागता स्मारक हैं, इस किले के इतिहास में राजपूतों के शौर्य की अनगिनत लोमहर्षक बलिदानों की कहानियां दर्ज हैं, लेकिन चित्तौड़गढ़ सिर्फ राजपूतों की बहादुरी के लिए ही नही, बल्कि इसे रानी पद्मावती की वजह से भी जाना जाता हैं। चित्तौड़गढ़ का किला सम्मान के लिए जौहर करने वाली रानी पद्मावती की वीरता का भी गवाह हैं। रानी पद्मावती के पिता सिंघल प्रांत (श्रीलंका) के राजा थे। उनका नाम गंधर्वसेन था। और उनकी माता का नाम चंपावती था। पद्मावती बाल्य काल से ही दिखने में अत्यंत सुंदर और आकर्षक थीं। कहा जाता है बचपन में पद्मावती के पास एक बोलता तोता था जिसका नाम हीरामणि रखा गया था। रानी पद्मावती का स्वयंवर पद्मिनी जब युवा हुई तो उनके पिता महाराज गंधर्वसेन नें अपनी पुत्री पद्मावती के विवाह के लिए उनका स्वयंवर रचाया था जिस में भाग लेने के लिए भारत के अगल अलग हिन्दू राज्यों के राजा-महाराजा आए थे। गंधर्वसेन के राज दरबार में लगी राजा-महाराजाओं की भीड़ में एक छोटे से राज्य का पराक्रमी राजा मल्खान सिंह भी आया था। उसी स्वयंवर में विवाहित