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दिसंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिन्दू संस्कृति में ओम का महत्व

Image : Google हिन्दू धर्म में ॐ का महत्त्व “ॐ” और स्वस्तिक सनातन धर्म के प्रतीक हैं और इसे प्रथम प्राकृतिक ध्वनि कहा गया है| “ॐ” ब्रह्मांड की आवाज़ है | दैनिक जीवन में हम इस ध्वनि के प्रति सजग नहीं होते लेकिन ‘ॐ’ का जाप मनुष्य को पुरे ब्रह्माण्ड से जोड़ता है | खास कर योगक्रिया का अभ्यास करते समय ॐ का उच्चारण करना लाभदायक है| अक्सर ‘ॐ’ के उच्चारण को ले कर आप ने बहस सुनी होगी| ॐ को समझने के लिए " प्रणव बोध" और " ओमकार निर्णय"   ऐसी   पुस्तकें लिखी गई   है | ओम (ॐ ) शब्द हिन्दुओं का सर्वाधिक पवित्र शब्द तथा  ईश्वर  का वाचक कहा गया है।  यजुर्वेद ४० / १७ में कहा गया है "ओम ख़म ब्रह्म " - ओम ही सर्वत्र व्याप्त परम ब्रह्म है। आइये हम जानने की कोशिश करते है ‘ॐ’ अर्थ और उसका महत्त्व| ‘ॐ’ एक पवित्र ध्वनि नाद या मंत्र है जिसकी उद्गम भाषा है संस्कृत | ‘ॐ’ का अर्थ है उच्चतम, श्रेष्ठ या सर्वोच्च| इस पवित्र मंत्र का उच्चारण से एक प्रकार का कम्पन निर्माण होता है जिसे महसुस किया जा सकता है| सामान्य से दिखने वाले यह एकाक्षरी मंत्र में पुरे ब्रह्माण्ड को नियंत्र

क्यों जरूरी हैं आधार कार्ड और क्या हैं इसके फ़ायदे?

Image : Google हम औसत भारतीय हर काम में अपने बचत को पहले देखते हैं और इस बचत के बहुत फायदे भी है, सिर्फ इन्ही छोटी छोटी बचतों के वजह से 2008 की आर्थिक मंदी का भारत पर बहुत कम प्रभाव पड़ा था। बचत करना अच्छी आदत हैं और सभी को करना चाहिए लेकिन हमारे भारत में बचत को लेकर एक अलग तरह सोच हैं यहाँ एक औसत भारतीय माता-पिता सोचते है लड़का या लड़की बस सरकारी नौकरी पकड़ ले ऊपर की कमाई से घर का खर्च निकल जाएगा और तनख्वाह "बचत" हैं , जो कि नैतिक तौर पर गलत तो हैं ही पर देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत खतरनाक हैं, क्योकि अगर इस टाइप की  बचतों को ज्यादा ही "सीरियसली" ले लिया गया तो क्या होगा पता हैं? तब ऐसी बचतों के लिए ही देश के प्रधानमंत्री तक को ऐसा बयान देना पड़ता हैं कि "हम दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं लेकिन आप तक केवल 15 पैसे पहुँच पाते हैं" जी हाँ, हमने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी का बयान ऊपर दिया है जो उन्होंने सन 1985 में कालाहांडी ओडिसा में दिया था। ऐसी बचत एक ऐसे सायकल को जन्म देती है जिसका अंत उस समय राजीव जी को भी नज़र नहीं आया था... लेकिन

पड़ताल : किस मानसिकता के चलते कुलभूषण की पत्नी और माँ के धार्मिक सुहाग चिन्ह हटवाए गए

Source : Google कुलभुषण जाधव के परिवार की महिलाओं के मंगलसूत्र, बिंदी, सिंदूर और चूड़ियाँ उतरवा दी पाकिस्तानियो ने, ऐसा मीडिया बता रहा हैं पर क्या यह आप भी यही मान रहे हैं? अगर हाँ तो आप गलत हैं!!  मेरा मानना है की मंगलसूत्र, बिंदी, सिंदूर, चूड़ियाँ "पाकिस्तान" ने नहीं, बल्कि 'इस्लाम" ने उतरवायें हैं, क्योकि क़ुरान व हदीस कहते है कि काफ़िरों को अपमानित करो, उनके पवित्र चिन्हो को defile करो, उन्हें तंग करो, harass करो। बस पाकिस्तानियो ने यही किया, उन्होंने अपनी पवित्र किताब के आदेशों का पालन कर के काफिरों को अपमानित किया। अब आप समझे कि जो लोग अनुष्का शर्मा का माँग में सिंदूर भरने पर मज़ाक़ उड़ा रहे है उन्हें ये विचार कहाँ से मिलते है? उन्हें किलो भर लिपस्टिक लगाने से दिक्कत नही हैं जो पेट मे जाकर स्वास्थ को नुकसान पहुँचा सकती हैं पर सिन्दूर से दिक्कत हैं जो वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध हैं कि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा हैं। अब आप यह ट्वीट देखिये, कैसे भारती जैन जो TOI की पत्रकार हैं अनुष्का शर्मा के सिन्दूर का मजाक उड़ा रही है ऐसे ही लोगो को देखि

द‌िल्ली में सरकारी सेवा घर-घर पहुंचाने की योजना पर मची तकरार, जानें सच क्यों एलजी बैजल ने लौटाई फाइल

1993 में दिल्ली विधानसभा के पुनःस्थापित होने के बाद से राज्य ने पाँच मुख्यमंत्री देखे है ..मदनलाल खुराना साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और अब अरविंद केजरीवाल। इन पांचो ही मुख्यमंत्रियों को केंद्र में विरोधी पार्टी की सरकार के साथ काम करना पड़ा हैं। अरविंद केजरीवाल को छोड़ बाकी चारो मुख्यमंत्रियों की कभी भी केंद्र सरकार या LG से कोई अनबन की खबर मीडिया में नहीं आयी। मज़े की बात को तो ये है कि केजरीवाल और पूर्व  LG नजीब जंग की जंग के पहले तक कम ही लोगो को पता था कि LG नाम का भी कोई पद होता है। लोगो को लगा कि नजीब जंग के जाने के बाद केजरीवाल के संबंध नए LG से कुछ मधुर हुए होंगे और दिल्ली के विकास कार्यो को गति प्रदान होगी, पर एक बार फिर ऐसा हो न सका। ताजा मामला यह है की केजरीवाल सरकार के जनसुविधाओं को घर पर डिलीवर करने के महत्त्वकांक्षी योजना पर LG अनिल बैजल ने रोक लगा दी है। यह हम नही कह रहे हैं, ये बात केजरीवाल जी और उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया साहब ट्वीट कर के बता रहे है। गौरतलब है कि एक बयान  में LG का कहना है कि उन्होंने रोक नहीं लगाई है बल्कि एक सुझाव दिया है

बीजेपी के लिए अल्पसंख्यक वोट मृगमरीचिका हैं

Image source Google विदेश मंत्री सुषमा स्वराज प्रत्येक दिन किसी ने किसी जरूरतमंद के लिए वीसा सम्बंधित मदद करती हुई आपको ट्विटर पर दिख जायेंगी, किसी को पाकिस्तान से इलाज करवाने भारत आना है तो किसी को अपने मायके ससुराल के लिए भारत आना हैं तो कोई यमन में फँस गया है तो कोई इराक में, सबकी मदद करती हैं। इतनी दरियादिली सुषमा जी दिखाती हैं की जिसकी कोई सीमा नहीं हैं, उन्होंने कभी यह भेद नही किया मदद माँगने वाला हिन्दू हैं या मुस्लिम जिसने भी मदद मांगी तत्काल मदद मिली, पाकिस्तानी मुस्लिमो के लिए तो वह फरिश्ते की तरह हैं मेडिकल वीजा उन्होंने मुक्तहस्त से पाकिस्तानी नागरिकों को दिया हैं। सुषमा जी के कार्य से लाभान्वित होने वाले वर्ग में अधिकांश मुस्लिम ही रहे हैं, वैसे भी जिन्हें अरब से लेकर इराक तक अपना असली घर लगता हो उन्हें विदेश मंत्री की जरूरत ज्यादा होती है, और सुषमा जी उनकी आकांक्षाओं पर हमेशा खरी उतरी हैं, पर सवाल यह हैं कि क्या भाजपा के प्रति इससे भारतीय मुस्लिमो के पूर्वाग्रह खत्म होंगे? इस सवाल का उत्तर अगर मैं दूँ तो यही कहूँगी की "जी नही, बिल्कुल भी नही" । मुस्

इस्लाम की ढाल काफिर होता है ...

सैफुल इस्लाम (सैफ उल इस्लाम), सैफुद्दीन (सैफ उद दीन) ये नाम तो आप ने सुने होंगे. दीन का अर्थ भी इस्लाम ही है और सैफ का अर्थ है तलवार. आप को यह तो पता ही है कि केवल तलवार से लड़ा नहीं जाता, तलवार के साथ ढाल अनिवार्य है और ढाल टूटने पर तलवारबाज काफी कमजोर भी पड़ता है. ढाल को सिपर कहा जाता है लेकिन मैंने आज तक कोई सिपरुद्दीन या सिपरुल इस्लाम नहीं सुना. स्लीपरुद्दीन (Sleeper उद दीन) मिलेंगे, लेकिन उनकी चर्चा फिर कभी करेंगे. मतलब मुसलमान केवल तलवार होने में ही मानता है, ढाल होने में नहीं मानता. और अगर बिना ढाल के तलवार कमजोर, तो ढाल का क्या करता होगा? सिंपल बात है, वो काफिर को अपनी ढाल बनाता है. इस्लाम की कोई किताब में यह नुस्खा नहीं बताया गया लेकिन इस्लाम का इतिहास देखिये, मेरी बात सिद्ध हो जायेगी. आज भी मुसलमान वही करते पाया जाता है. जरा ढाल क्या होती है समझिये. ढाल से क्या होता है जानिये. ढाल पर विरोधी का वार झेलकर खुद को बचाया जाता है. ढाल वार झेल-झेल कर टूट जाती है तो उसे बदल लिया जाता है. और तो और, ढाल से प्रहार भी किया जाता है. मुसलमान शासकों ने हमेशा हिन्दुओं

2 G Scam: All we should know..!!

All you must know about 2G scam… Biggest Scam of Independent India busted in 2010. Amount involved: 1.76 lakh crore(17600000000000 just count zeroes). Time Magazine called it the second biggest abuse of power after US President Richard Nixon's Watergate scandal. In very simple language, the spectrum licenses were gifted actually(not sold) to desired preferred, customers at a throwaway prices, the price which was 1/10th of the current market price, spectrum was sold at the market price  of 2001 in 2008 and that price was 1/10th of the market price. Last date for filling up the forms for getting the licenses was manipulated as per convenience to impart benefit to some of preferred companies. On 10th January, 2008 at 2:30 PM, Raja informed on Ministry website that whichever company brings the Demand draft of Rs. 1651 crore the same day between 3:30 PM to 4:30 PM, will get the license, however previously almost 575 companies applied for spectrum, but the cut off date kept o

लव जिहाद : अफसाना या हकीकत और इससे बचाव के उपाय

युवा मुस्लिम लड़को का गैर मुस्लिम लड़कियों (अमूमन हिन्दू और सिख) को धर्मांतरण के उद्देश्य से बहला फुसला के प्यार के जाल में फँसाने को लव जिहाद कहा जाता है। लंबे समय तक मीडिया घराने मौलाना और आम इंसान भी ये मानते थे कि लव जिहाद एक मिथ है और ये बीजेपी और हिंदूवादी संगठनों की साम्प्रादायिक सौहाद्र बिगाड़ के राजनैतिक लाभ लेने की चाल है, लेकिन अब बहुत सी घटनाएं दृष्टिगोचर होने के बाद आम जनमानस को भी अहसास होने लगा है कि लव जिहाद एक सच्चाई है। यद्यपि अभी भी कई छद्म निरपेक्ष, तथाकथित उदारवादी बुद्धिजीवी और मुस्लिम समाज के लोग इस मुद्द्दे को संबोधित करने के बजाय आज भी इसके वजूद से इंकार करने में लगे हुए है। आखिर लव जिहाद क्या हैं? क्या ये भारत की डेमोग्राफी (जनसंख्या गणित) को बदलने की साजिश है?  हालांकि लव जिहाद जैसी घटनाएं दुनिया के कई हिस्सों में घट रही है पर फिलहाल हम अभी भारत मे हुई घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। कई ऐसे मामले सामने आए है जहाँ मुस्लिम युवा स्वयं को या तो हिन्दू बता कर या उदारवादी खुले दिमाग का बता कर हिन्दू युवतियो को बहलाते फुसलाते है। बहुत से लोग ये

शभुनाथ रैगर : भटका हुआ नौजवान क्यों नहीं?

पिछले दिनों राजस्थान के राजसमंद में एक युवक शम्भूनाथ रैगर ने एक पश्चिम बंगाल के मजदूर की जलाकर हत्या कर दी। एक सभ्य समाज में इस तरह की हिंसक घटनाओं का कोई भी समर्थन नही कर सकता और कानून को हाथ में लेने की इजाजत तो किसी को भी नही दी जा सकती हैं। हमारी Epostmortem की टीम भी इस घटना की कड़ी निंदा करती हैं। लेकिन.. अगर इस तरह की कोई बर्बर घटना होती हैं तो इसके पीछे के कारणों पर निष्पक्ष चर्चा होनी चाहिए, निष्पक्ष जांच होनी चहिये जिसमे दोनो पक्षो की मानसिकता को समझने का प्रयास करना चाहिए ताकि इसका समाधान निकल सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ती ना हो। परन्तु मीडिया ने यह किया? नही, उसको एक वीडियो मिला जिसमे लव जिहाद का नारा लगाता हुआ एक पागल इंसान एक हत्या करता हुआ नजर आ रहा हैं उसे देखकर मीडिया शम्भूनाथ से ज्यादा पागल हो गया और बिना सच का पता लगाये, बिना मौके पर पहुँचे मीडिया के एक वर्ग ने यह साबित करने का प्रयास किया देश मे साम्प्रदायिक हिंसा बढ़ रही हैं, ताकि उस समय चल रहे गुजरात चुनावो में इसका चुनावी लाभ उठाया जा सके। यहाँ तक कि रिपोर्टिंग करते वक्त इनकी पूरी कोशिश थी