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बीजेपी के लिए अल्पसंख्यक वोट मृगमरीचिका हैं

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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज प्रत्येक दिन किसी ने किसी जरूरतमंद के लिए वीसा सम्बंधित मदद करती हुई आपको ट्विटर पर दिख जायेंगी, किसी को पाकिस्तान से इलाज करवाने भारत आना है तो किसी को अपने मायके ससुराल के लिए भारत आना हैं तो कोई यमन में फँस गया है तो कोई इराक में, सबकी मदद करती हैं। इतनी दरियादिली सुषमा जी दिखाती हैं की जिसकी कोई सीमा नहीं हैं, उन्होंने कभी यह भेद नही किया मदद माँगने वाला हिन्दू हैं या मुस्लिम जिसने भी मदद मांगी तत्काल मदद मिली, पाकिस्तानी मुस्लिमो के लिए तो वह फरिश्ते की तरह हैं मेडिकल वीजा उन्होंने मुक्तहस्त से पाकिस्तानी नागरिकों को दिया हैं।

सुषमा जी के कार्य से लाभान्वित होने वाले वर्ग में अधिकांश मुस्लिम ही रहे हैं, वैसे भी जिन्हें अरब से लेकर इराक तक अपना असली घर लगता हो उन्हें विदेश मंत्री की जरूरत ज्यादा होती है, और सुषमा जी उनकी आकांक्षाओं पर हमेशा खरी उतरी हैं, पर सवाल यह हैं कि क्या भाजपा के प्रति इससे भारतीय मुस्लिमो के पूर्वाग्रह खत्म होंगे? इस सवाल का उत्तर अगर मैं दूँ तो यही कहूँगी की "जी नही, बिल्कुल भी नही"

मुस्लिमो ने जो बीजेपी के प्रति पूर्वाग्रह बना रखे हैं वह कभी नही खत्म होने वाले चाहे बीजेपी उनके लिए कितनी भी कुछ क्यों ना कर दें, दरअसल हमारे देश का मुस्लिम समाज, सारे विश्व के मुस्लिम समुदाय से बंधुत्व की भावना रखता हैं। पूरी दुनिया के मुस्लिमो के हक की आवाज उठाना उनके समर्थन में हिंसक प्रदर्शन करना उसकी प्राथमिकता में होता हैं। बात चाहे फिलिस्तीन इजरायल की हो या इराक में अमेरिकी हमले की हो या फिर म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमो की, भारत के मुस्लिम समुदाय ने भारत मे इन सबके लिए मुखर प्रदर्शन के साथ हिंसक प्रदर्शन किया हैं। ऐसा नही हैं कि मुस्लिम यह सब "इंसानियत" के लिए करते हैं अगर इतनी इंसानियत के समर्थक होते तो अपने ही देश मे अपनी ही जमीन से निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओ के अधिकारों के लिए भी मुखर आवाज उठाते या फिर बगल में पाकिस्तान बंगलादेश में अल्पसंख्यको पर हो रहे निर्दय अत्याचारों के लिए भी प्रदर्शन करते, पर इन्होंने इसके लिए कभी भी आवाज नही उठायी बल्कि मूक समर्थन ही करते रहे। मुस्लिम समुदाय के लिए सिर्फ मुसलमान मायने रखता हैं और इसमे देश की सीमाएं कोई बाधक नही हैं।

अब सवाल यह हैं कि बीजेपी की सरकार जो "सबका साथ, सबका विकास" की बात करती हैं, वो मुस्लिमो को क्यो पसन्द नही हैं? जबकि बीजेपी शासित राज्य इस देश मे सबसे विकसित और धनवान राज्य हैं और साम्प्रदायिक दंगे से भी मुक्त हैं। इसका बड़ा सीधा उत्तर हैं कि 2012 में म्यांमार के रोहिंगा मुस्लिमो के लिए सारे देश मे दंगे फसाद हुए, मुम्बई के आजाद मैदान में अमर जवान ज्योति को लात मारकर तोड़ दिया गया यह देश के सैनिकों का अपमान था, ऐसी कोई अप्रिय घटना बीजेपी शासित राज्य में नही हुई क्योकि बीजेपी की सरकारे ऐसे दंगाईयो का तुष्टिकरण नही करती, यही बात इन मुस्लिमो को खराब लगती हैं।
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बीजेपी शासित राज्यो में मुस्लिम, धर्मान्तरण का एजेंडा, विश्वभर के मुस्लिमो के लिए दंगा फसाद करके दबाव नही बना पाते इसलिए खिलाफ रहते हैं, इन्हें विकास से कोई लेना देना नही हैं इन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड की चिंता रहती हैं इसी वजह से मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी कितना भी विकास कर ले पर हमेशा ही हारती हैं।

परन्तु बीजेपी के नेता इस सच्चाई को स्वीकार नही कर पाते की उन्हें मुस्लिमो को वोट कभी नही मिलेंगे फिर भी वो उन्हें रिझाने में लगे रहते हैं और कभी कभार तुष्टिकरण करने से भी बाज नही आते।
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यहाँ तक कि बीजेपी ने अल्पसंख्यक कल्याण बजट को 35% बढ़ा दिया हैं जिसकी वजह से बीजेपी समर्थक ही उन पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।
उदाहरण देखिये-
ये देखिये, असम की धुबरी सीट से घोर साम्प्रदायिक पार्टी असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसद और पार्टी अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल जिन्हें सारे जहाँ के मुस्लिमो का दर्द महसूस होता हैं, इन्हें बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की चिंता तो हैं पर खुद के देश मे मुस्लिमो की वजह से निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओ के लिए कभी इनके मुँह से लफ्ज नही फूटता कैसे बेशर्मी से इजरायल फिलिस्तीन के मामले में इजरायल के विरुद्ध वोट करने के लिए सुषमा स्वराज जी को धन्यवाद दे रहे हैं, क्या मतलब हैं इन्हें इससे की जेरूसलम इजरायल को जाए या फिलिस्तीन को रहना तो इन्हें भारत मे ही हैं पर बात मुस्लिम ब्रदरहुड की हैं कि जिसकी कोई देशज सीमा नही होती।
और जब सुषमा जी ने इनका धन्यवाद स्वीकार करते हुए इनका वोट अपनी पार्टी के लिए माँगा तो कैसे पलट गए, बताने लगे कि इनका समर्थन उस दिन बीजेपी को मिलेगा जिस दिन बीजेपी अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में भेद नही करेगी, पर यह नियम इनके खुद के लिए नही हैं ये खुद कश्मीरी हिन्दुओ के लिए चुप रहेंगे पर म्यांमार के मुस्लिमो के लिए, फिलिस्तीन के लिए आँसू बहाएंगे। वैसे मुझे इनसे पूछना हैं कि अजमल साहब बताइये बीजेपी ने कब अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में भेद किया हैं?

और अगली ट्वीट में इन्होंने बिल्कुल साफ कर दिया कि वो बीजेपी को कभी सपोर्ट नही करेंगे क्योंकि वो हिंदूवादी पार्टी हैं, जबकि खुद इनकी पार्टी सिर्फ मुस्लिमो के लिए हैं। बात साफ हैं कि बीजेपी सरकार में इनका एजेंडा नही चल सकता हैं, और बदरुद्दीन अजमल का एजेंडा यह हैं।

आप यह Hindustan Times की खबर देखिये, एक तरफ तो बदरुद्दीन अजमल बीजेपी पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगा रहे हैं और दूसरी तरफ हिन्दुओ के खिलाफ मुसलमानो को एकजुट हो कर जिहाद छेड़ने के लिए भड़का रहे है। यह इंसान ISIS से लेकर बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों के समर्थन में भी बोलता है, जबकि ये इंसान ना तो कोई मौलाना है, और ना ही कोई धर्म गुरु, ये है सांसद जिसने देश की धर्मनिरपेक्षता को अक्षुण रखने के लिए संविधान की शपथ ली हैं, ये है इनका सेकुलरिज्म.. दुसरो को नसीहत और खुद मियां फजीहत.. पर यह बात बीजेपी नही समझ पा रही हैं।

जबकि बीजेपी ऐसा करके अपने समर्थकों को ही निराश करती हैं, क्योंकि सफलता का मूलभूत नियम हैं की अपनी ताकत को पहचानिए और उसी हिसाब से खेलिए और बीजेपी की ताकत हैं बहुसंख्यक हिन्दू समाज। भाजपा को यह बात समझना बहुत जरूरी हैं कि वह सेक्यूलर पार्टी नही हो सकती क्योकि उसके विरोधी ऐसा कभी नही होने देंगे वह उसे हिंदूवादी साम्प्रदायिक पार्टी साबित करते ही रहेंगे और बीजेपी को अपनी इस हिन्दू वादी छवि को अपनी कमज़ोरी के बजाए अपनी ताक़त के रूप में देखना चाहिए। हाँ वह यह जरूर साबित कर सकती हैं कि उसके हिंदूवादी होने से अल्पसंख्यकों के हितों का कोई नुकसान नही होगा। अपनी मूल पहचान, हिंदुवादी छवि से दूर भागकर भाजपा सब कुछ खो देगी पर पाएगी कुछ भी नहीं, अल्पसंख्यको का वोट भी नही इसलिए  बीजेपी अल्पसंख्यक वोट की  मृग मरीचिका ना ही रखे तो उसके लिए अच्छा हैं।

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टिप्पणियाँ

  1. लगता है की बीजेपी के स्वराज में भी सेकुलर बनने बाला कीड़ा घुस गया है .... ये लोग थोड़े पाने के चक्कर में ज्यादा का नुकसान कर देगा ...

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    1. जितने जल्दी ये कीड़ा निकल जाए उतना अच्छा .नहीं तो हिन्दू समाज कभी माफ नही करेगा बीजेपी को

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  2. गुजरात में तो तीन ऐसे मुस्लिम बहुअ इलाका है जिसमे बीजेपी हार गया है ... और कश्मीर में तो २१०० करोड़ और कश्मीर में बाढ़ के समय PM खुद गया था कश्मीरी मुल्लो का सहायता करने फिर भी मुल्लो ने बीजेपी का जमानत ही जप्त करबा दिए फिर भी कुछ नहीं सीखे है ... अपने दोस्त देशों को नाखुश करते है

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  3. ध्यान रहे.....
    काँग्रेस का मंदिर ड्रामा भोलेभाले हिन्दुओ के वोट खीच सकता है लेकिन भाजपा की मुसलमानों की रियल हमदर्दी भी उसे वोट नही दिला सकती।
    अपना ट्रेक न छोड़े bjp पछतावे के सिवाय कुछ हाथ नही आएगा।
    सुषमाजी की वीसा पालिसी कुलभूषण के मामले में धूल चाट रही है।

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  4. बिलकुल सही मूल्यांकन किया आपने किशोर जी ,यही करोड़ो हिन्दुओ की जनभावना है .जो आपके लिए मर खप जा रहे केरल से बेंगाल तक आप उनकी सुध नहीं ले रहे और उनके लिए पागल हो जो आपको आज भी साम्प्रदायिक ही मानते है

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  5. BJP को मुसलमानों से जाने क्या मुरव्वत है , इसी नीति पर चले, इनका हाल भी अटल बिहारी की सरकार जैसा ही होगा यदि यही हाल रहा तो, सरकार टिके रहना बड़ा कठिन है गिर गई तो बरसो लग जाएंगे फिर आने में हिंदू हित के काम करो जिसके लिए सरकार बनी है जिन्होंने आप को वोट दिया है।

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