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राज्य सभा चुनाव : गुप्ता पर "विश्वास " और कुमार पर अविश्वास

हाँ तो भाई कल "आप" पार्टी ने अपने 3 लोगों का नाम दे ही दिया राज्यसभा के लिए।
उनमें से एक संजय सिंह जी हैं जिनके बारे में सोशल मीडिया पर अफवाह हैं की किसी ज़माने में मुलायम सिंह जी की पार्टी में लठैतगीरी करते थे और आज केजरी की पार्टी में टिकटगीरी करते है। पार्टी अलग, पर बंदा वही और धंधा वही। पहले लट्ठ बजाकर पैसे वसूलते थे और आज टिकट बेचकर। आदमी काम का है, करोडो कमाकर दिए है सरजी को पंजाब और गुजरात चुनाव में तो उनका राज्यसभा में भेजना तो बनता ही था ना, है कि नहीं?

दूसरा बंदा कोई सुशील गुप्ता है, अब उनके बारे में मैं क्या बताऊँ जब ख़ुद आपियों को ही नहीं पता तो .. 🤣

देखिये कपिल मिश्रा जी क्या कह रहे हैं।
हाँ पर मालदार बंदा है जैसा ऊपर फ़ोटो से दिख रहा है और पक्का बनिया भी। सुना है उन्हें नेता बनने का बड़ा शौक़ था, काँग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा भी बेचारे ने पर मुँह की खानी पड़ी। मगर उनकी पारखी नजर ने सरजी की लालची नजर पहचान ली थी और वो समझ गए कि अगर नेता बनना है तो नोट उड़ाने पड़ेंगे और वही उन्होंने किया भी।


कुछ दिन पहले तक गुप्ता जी 854 करोड़ रुपये सर जी से वसूल रहे थे और अब सुना है की उलटा पूरे 50 करोड़ डकार गए उनसे अपने सरजी। वैसे मानना पड़ेगा, अपने केजरी सर देखने में है तो बित्ते भर के मगर नोटों के लिए उनकी भूख किसी भष्मासुर से कम नहीं जितना भी भर दो हमेशा कम ही पड़ता है उन्है। वैसे उनकी तोंद उनकी पोल खोल देती है।

तीसरा आदमी भी कोई गुप्ता जी ही है। सुना है वो CA भी है और आप पार्टी के finance वग़ैरह भी देखते है। या फिर सीधे सीधे तौर पर कहा जाए तो केजरी के काली रात के काले कारनामों का काला चिट्ठा उनके हाथ में है। 😜

कहीं ऐसा तो नहीं कि इस वाले गुप्ता जी ने अपनी सरजी की कोई कमजोर नब्ज़ दबा दी और राज्यसभा की टिकट पा ली? 🤔

वैसे ये भी हो सकता है कि इन्हौने भी सरजी के मुँह में करोडो ठूँस दिए हो।

बेचारे कुमार विश्वास को अपने सालो पुरानी दोस्ती और पार्टी में भागीदारी का इनाम सिर्फ और सिर्फ दुत्कार के रूप में ही मिला। वैसे भी उन्हे ये समझ जाना चाहिए था कि "केजरी किसी का यार नहीं .... पैसो के सिवाय उसे और किसी से प्यार नहीं..."

खैर कुमार विश्वास साहब तो सदमे में हैं उनकी तरफ से रेडियो मिर्ची पर हमने इस गीत की फरमाइश भेज दी हैं .. गैरों पर करम अपनो पर सितम ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर 😂😂


ख़ैर जाने दो हमें क्या हम तो वैसे भी ब्लॉक्ड है 😝

सबसे ज्यादा मजा तो आपियो की हालत पर आता है, बेचारे दिन प्रति दिन सामने आती अपने सरजी की असलियत पर ना खुल कर रो पा रहे है और ना अफ़सोस कर पा रहे है, करे भी तो किस मुँह से,उसी मुँह से तो केजरी की ईमानदारी की चालीसा बाँचते थे। वैसे समझने वाले तो केजरी सर को देखते ही पहचान गए थे कि ये  कितने बड़े वाले घाघ है। अन्ना आंदोलन में ये आये ही सिर्फ और सिर्फ सत्ता की सीढ़ियाँ चढ़ने, भ्रष्टाचार और देश सेवा तो इसका सिर्फ एक दिखावा है। काम से तो इनका तो बहुत बड़ा बैर हैं, जैसे ही काम आता हैं तो इनका पढ़ाई करने का मन करने लगता हैं जैसे IRS के टाइम एजुकेशन लीव लेकर फरार हो गए थे। अब मुख्यमंत्री है तो कभी लूज मोशन हो जाता हैं तो कभी छुट्टियां मनाने निकल पड़ते हैं और उसके बाद भी कुछ बच गया तो LG साहब और मोदी जी दूध भात हैं ही कि पोस्टर लगवा देते हैं दिल्ली में  "प्रधानमंत्री सर, प्लीज दिल्ली सरकार को काम करने दीजिए। दिल्ली सरकार अच्छा काम कर रही हैं"...ख़ैर ये सब तो अब पुरानी बातें है...

कोई कुछ भी बोले सरजी के बारे में पर एक बात तो पक्की है, सर जी बने तो बडी ही चिकनी मिट्टी से हैं। अपने निकम्मेपन का सारा ठीकरा LG के मत्थे फोड़ने के अलावा उसने पिछले 3 साल में कुछ नहीं किया। मुहल्ला क्लीनिक और सरकारी स्कूल को बदलने वाले दावे की असलियत यह हैं कि इनके ख़ुद के और इनकी पार्टी के बाकी नेताओ के बच्चे सब मंहगे प्राईवेट स्कूलो में पढते है, और इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में जाते हैं।

हाँ लेकिन एक काम उन्होंने जो किया है वो बहुत ही कम नेता अपने पार्टी वर्करों के लिए करते है। इन्होंने ज्यादातर पार्टी वर्करों को नौकरी पर लगा दिया, किसी को मोहल्ला क्लिनिक के नाम पर तो किसी को राशन कार्ड के नाम पर... 😁

अभी और लोगो को भी नौकरी पर लगाने वाले थे "घर घर जा कर सरकारी सेवा देने" के नाम पर लेकिन फूटे करम LG साहब ने अडंगी मार दी, तभी तो सर जी कहते हैं कि LG साहब उन्हें काम नही करने देते हैं।

खैर अभी तो और दो साल है हमारे सरजी के पास... देखो और क्या क्या गुल खाते और खिलाते है... 😁


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टिप्पणियाँ

  1. ये सब दिल्ली के महान लोगो की देन है जो फ़ोकट में खाने के चक्कर में सड़ जी को चुना फिर सड़ जी में पुरे दिल्ली बालो को ही चुना लगा दिया

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