सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

क्या पकौड़े बेचना रोजगार नहीं ?

क्या पकौड़े बेचना रोजगार नहीं ?

यह देखिये पूर्व वित्त मंत्री कैसे पकौड़े बेचने वाले की तुलना भीख माँगने वालने से कर रहे हैं, मतलब स्वरोजगार करना भीख मांगना हैं। श्रमिक वर्ग से इस कदर घृणा? चिदम्बरम जी इतनी बेरहमी से मेहनतकश आदमी की दिहाड़ी का मज़ाक बना रहे हैं, साहब यहाँ हर कोई कार्तिक चिदम्बरम और नेहरू खानदान का वंशज नहीं होता हैं! चांदी की चम्मच मुँह में लेकर पैदा होने वालो को मेहनतकश आदमी का छोटा काम मज़ाक ही लगता है, जिनकी एक पीढ़ी ने अकूत सम्पत्ति कमा के छोड़ दी वो सिर्फ राजनीति करते है और किसी रसूखदार के बच्चों को अपने पैरों पर खड़े हो स्वयं नौकरीं करते देखना उनके लिए आश्चर्य की ही बात होती है।


खैर मामला यह हैं कि, मोदी जी के रोजगार से जुड़े हुए मुद्दे पर हालिया बयान से मीडिया में इस बात पर बहस छिड़ी हुई है की मोदी जी को रोजगार और आजीविका कमाने में अंतर नहीं पता? हकीकत में तो ये अंतर मुझे भी नहीं पता और मै पकौड़े बेचने, पोहे बेचने को भी रोजगार समझता हूँ | अगर हम ये समझते हैं की पकौड़े बेचना, चाय बेचना पोहे बेचना रोजगार नहीं है, तो हमें ये जानने की जरूरत है की बहुत सारी कंपनियां जिसमे की विदेशी कंपनियां भी शामिल है, सिर्फ चाय कॉफी बेचने का ही कारोबार करती हैं, समाज को इस भूल से निकलना होगा की चाय कॉफी सिर्फ अनपढ़ या कम पढ़े लिक्खे लोग ही बेचते हैं |

जिन्हें पकौड़े बेचना चाय कॉफी बेचना छोटा काम लगता हैं उन्हें बता दूँ की Coffee Cafe Day, Chaayos, Barista और न जाने कितनी ऐसी कंपनियां हैं, जो चाय कॉफी बेच कर अरबों डॉलर का ना सिर्फ व्यापार करतीं हैं,  बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है |

अपने यहाँ भारत में भी साल 1937 में  गंगाविषण जी अग्रवाल ने बीकानेर में एक छोटी सी नाश्ते की दूकान खोली। दरअसल उस दुकान के माध्यम से उनके पिता तनसुख दास भुजिया के कारोबार में कदम रखना चाहते थे। गंगाविषण जी की मेहनत की बदौलत वह दूकान भुजियावाले के नाम से अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ। बाद में इसी दुकान का नाम हल्दीराम कर दिया गया और आज हल्दीराम 50 से ज्यादा देशों में उपस्थित हैं, साल 2013-14 में नॉर्थ इंडिया का कारोबार देखने वाली हल्दीराम मैन्युफैक्चरिंग का रेवेन्यू 2,100 करोड़ रुपये रहा। वेस्ट और साउथ इंडिया में कारोबार करने वाली हल्दीराम फूड्स की एनुअल सेल्स 1,225 करोड़ रुपये रही और पूर्वी भारत में कारोबार करने वाली हल्दीराम भुजियावाला ने 210 करोड़ रुपये रेवेन्यू हासिल किया है और साथ में हजारो लोगो को हल्दीराम ने रोजगार दे रखा हैं। सोचिए अगर गंगाविषण जी स्वरोजगार ना करके सरकारी क्लर्क होते तो क्या इतना बड़ा बिजनेस एम्पायर खड़ा कर पाते?

खैर हम इसकी बात नहीं करते हैं, हम रेहड़ी ठेला लगा के चाय, समोसे, पकौड़े बेचने वालो की बात करते हैं, सड़क किनारे रेहड़ी लगा के चाय बेचने वाले हो सकता है, की एक MNC में काम करने वाले इंजीनियर से ज्यादा कमाते हो, आप कभी इनसे बात कर के देखिये, की ये कितने साल से ठेला लगा रहे हैं, और इतने सालों में इन्होने अपने गांव में इसी रेहड़ी के बलबूते कितनी संपत्ति बना ली है |

मेरठ में मेरठ कॉलेज के गेट के पास एक चाय की ऐसी दूकान हैं जिनकी चाय पीने लोग मोदीनगर, ग़ाज़ियाबाद से आते हैं, नॉएडा में सेक्टर 16 मेट्रो स्टेशन के नीचे चार-पांच बीटेक पास लड़के एक चाय का ठेला लगते हैं, जिसपर वो चाय कॉफी टोस्ट पेटिस इत्यादि सब बेचते हैं, और हैं वो ये सब शौक से करते हैं |

मुझे याद हैं जब मैं मुंबई(गोरेगाव) में था, तो हमारे ऑफिस के नीचे एक लड़का चाय की दूकान करता था, वो पूरे दिन में कम से कम 2 से 3 हजार रूपए का काम करता था, जितना की शायद उस बिल्डिंग में काम करने वाली 50% जनता नहीं पाती होगी |

दिल्ली में आश्रम से सराय काले खान बस अड्डे जाते वक्त, जहां डी एन डी फ्लाईओवर शुरू होता है उसी फ्लाईओवर के बाजू में एक जूस वाला है, महारानी बाग़ में, उस जूस दुकान मालिक के पास 4 ऑडी, 1 bmw मिला के 7 लक्ज़री गाड़ियां हैं, दिल्ली के पॉश एरिया में उसके 4 बंगले हैं, जिसमे एक ग्रेटर कैलाश में है । इसी व्यक्ति का एक घर जोरबाग में हैं, जिसका किराया 2 लाख महीना आता है, एक अमेरिकन फॅमिली रहती है । इस व्यक्ति  की दुकान में 10 से ज्यादा कर्मचारी है, कोई जूस 40 से कम का नही है और होम डिलीवरी की सुविधा भी है, दुकान सुबह 7 बजे शुरू हो जाती है, रात 11 बजे तक चलती रहती है ।

आइये मैं आपको ऐसे इंसान से मिलवाता हूँ जिसने गूगल जैसी प्रतिष्ठित कम्पनी की नौकरी सिर्फ समोसा बेचने के लिए छोड़ दी। आईटी में काम करने वाले ज्यादातर युवाओं के लिए गूगल में काम करना सबसे बड़ा लक्ष्य होता है. न सिर्फ ब्रांड वैल्यू के तौर पर, बल्कि गूगल की नौकरी बेहतरीन सैलरी और स्थिरता, दोनों प्रदान करती है पर इन्होंने गूगल की नौकरी से ज्यादा खुद के काम को वैल्यू दी।


ये मुनाफ कपाड़िया हैं, सिर्फ एक साल पुराने अपने रेस्त्रां से मुनाफ साल भर में 50 लाख रुपये कमाते हैं. उनका इरादा अगले दो से तीन सालों में इस कमाई को 10 गुना कर पांच करोड़ रुपये करना है. 

मुनाफ के समोसे कितने लजीज है, इसका अंदाजा उनके रेस्त्रां में लगी भीड़ को देखकर लग जाता है. लोग घंटों तक अपनी बारी की इंतजार करते हैं. मुनफ फोर्ब्स के 'अंडर-30' लिस्ट में शामिल हैं. वे अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपनी मां को देते हैं।

ये तो आपके अपने ऊपर निर्भर करता हैं, की आप किस तरह के काम का वर्गीकरण रोजगार में करते हैं और किसका आजीविका में |

मानता हूँ की बेरोजगारी देश में एक बड़ी समस्या है, लेकिन भारत की बेरोजगारी को मैं पिछले तक़रीबन २० सालों से करीब से देख रहा हूँ, हमारे यहां लोग सरकार के भरोसे इतना ज्यादा बैठे हैं की वो कुछ अपना काम करना ही नहीं चाहते, पढ़ने लिखने के बाद हर व्यक्ति कुछ काम करना चाहता हैं, लेकिन हमारे देश में क्या हैं की जनता पढाई के बाद सरकार के भरोसे ज्यादा बैठना पसंद करती है की सरकार कुछ रोजगार दे | समाज अगर इस मानसिकता से बाहर आकर अपना कुछ काम करने लग जाये तो बेरोजगारी की समस्या काफी हद्द तक समाप्त हो जाएगी, अगर हम अपना कुछ छोटा मोटा फैक्ट्री लगा ले, तो साथ के 10 और बन्दों की रोजगार की समस्या खत्म हो जाएगी |

वैसे इस तस्वीर का एक दूसरा पहलु भी है जिसे मै अंत में ही दिखाना चाहता हूँ, वो ये हैं कि कांग्रेस सरकार के द्वारा शिक्षा के निजीकरण पर जोर देने के वजह से आज कल इतने ज्यादा शिक्षण संस्थाएं हो गयी है कि काफी नाकाबिल बच्चों को भी इंजीनियरिंग मेडिकल मैनेजमेंट की डिग्री मिल जाती है, जिससे की सिर्फ डिग्री धारी बेरोजगारों की फ़ौज बढ़ रही है, हकीकत में ये जनता इन डिग्रियों के काबिल ही नहीं थे | ये सच्चाई इनको तब पता लगती है जब ये नौकरी के फार्म भरते हैं, वहां इनका सफल  हो पाना बहुत मुश्किल होता हैं |

प्राइवेट सेक्टर में जब ये जनता नौकरी के लिए अप्लाई करती हैं तो ये कभी इंटरव्यू ही क्लियर नहीं कर पाते, इस तरह से ये सिर्फ पढ़ी लिखी लेकिन नाकाबिल बेरोजगारों की फ़ौज में शामिल हो जाते हैं |

रोजगार का अर्थ सिर्फ सरकारी नौकरी ही है, ये व्याख्या किधर से आयी अंदाजा नहीं लेकिन ये हमारे समाज के युवा की उस सोच को भी दर्शाता है, की वो रिस्क लेने से डरता है, उसे लगता है की प्राइवेट नौकरी में भविष्य नहीं हैं, मुश्किलें ज्यादा हैं, लेकिन शायद प्राइवेट नौकरी में पैसा सरकारी नौकरी से ज्यादा है | युवा कोई बिजनेस इसलिए नहीं करता क्योंकि उसे लगता हैं की वो असफल हो जायेगा, वो एक सरकारी विभाग में चपरासी का फॉर्म भर देगा लेकिन अपनी योग्यता के अनुसार प्राइवेट सेक्टर में कोई दूसरा काम नहीं करेगा, ये मुझे आज तक नहीं समझ आया की BTech, M Tech, M Sc., PHD करने के बाद व्यक्ति चपरासी का फॉर्म क्यों भरता है? शायद आप  इस डिग्री के लायक ही नहीं थे...!
मौजूदा रोजगार के आंकड़े नीचे क्लिक करके देखिये:

Unemployment Rate in India

ये जो देश में बेरोजगारी के आंकड़े है, ये हकीकत में ये बता रहा है देश में कितने कामचोर लोग बैठे हैं..!!

और अंतिम में बिल गेट्स की इस कोट के साथ अपनी बात खत्म करता हूँ, "गरीब पैदा होना यह आपकी गलती नही हैं, लेकिन अगर आप गरीबी में ही मर जाते हैं तो यह सिर्फ आपकी गलती हैं" |


कृपया कॉपी ना करे, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट का लिंक फेसबुक, ट्विटर , व्हाट्सएप आदि सोशल साइट्स पर जरूर शेयर करे।

लेखक से ट्विटर पर मिले- 




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारत को अमेरिका पर विश्वास क्यों नहीं करना चाहिए?

ऐसा शीर्षक पढ़कर बहुत सारे लोगों को कुछ अटपटा लग सकता है, ऐसा इसलिए है या तो वो लोग अंतरराष्ट्रीय राजनीति की गहरी जानकारी नहीं रखते या फिर उनका जन्म 90 के दशक में हुआ होगा। USSR के पतन और भारत के आर्थिक सुधारों के बाद भारत का राजनैतिक झुकाव अमेरिका की ओर आ गया है लेकिन इसके पहले स्थिति एकदम विपरीत थी। भारत रूस का राजनैतिक सहयोगी था, रूस कदम कदम पर भारत की मदद करता था। भारत की सरकार भी समाजवाद से प्रेरित रहती थी और अधिकतर योजनाएं भी पूर्णतः सरकारी होती थीं, निजी क्षेत्र बहुत ही सीमित था। ये सब बदलाव 1992 के बाद आये जब भारत आर्थिक तंगी से गुजर रहा था और उसका सहयोगी USSR (सोवियत संघ रूस) विखर चुका था, तत्कालीन प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को इस परेशानी से निकलने का कोई विचार समझ में नहीं आ रहा था अतएव भारत ने विश्वबैंक की तरफ रुख किया और विश्वबैंक की सलाह पर ही निजी क्षेत्रों में विस्तार किया गया और भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था बना दिया गया। यहीं से शुरुआत हो जाती है भारत की नई राजनीति की। जहां तक मेरे राजनैतिक दृष्टिकोण की बात है मैं ये पोस्ट बस इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर ...

Selective Journalism का पर्दाफाश

लोकतंत्र के चार स्तंभ होते हैं कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और मीडिया जो इस देश को लोकतान्त्रिक तरीके से चलाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। कार्यपालिका जवाबदेह होती है विधायिका और जनता के प्रति और साथ ही दोनों न्यायपालिका के प्रति भी जवाबदेह होते है। इन तीनो की जवाबदेही भारतीय संविधान के हिसाब से तय है, बस मीडिया के लिए कोई कानून नहीं है, अगर है तो इतने मज़बूत नहीं की जरूरत पड़ने पर लगाम लगाईं जा सकें। 90 के दशक तक हमारे देश में सिर्फ प्रिंट मीडिया था, फिर आया सेटेलाइट टेलीविजन का दौर, मनोरंजन खेलकूद मूवी और न्यूज़ चैनल की बाढ़ आ गयी. आज  देश में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनल को मिला के कुल 400 से अधिक न्यूज़ चैनल मौजूद है जो टीवी के माध्यम से 24 ×7 आपके ड्राइंग रूम और बैडरूम तक पहुँच रहे हैं। आपको याद होगा की स्कूल में हम सब ने एक निबन्ध पढ़ा था "विज्ञान के चमत्कार" ...चमत्कार बताते बताते आखिर में विज्ञान के अभिशाप भी बताए जाते है. ठीक उसी प्रकार जनता को संपूर्ण जगत की जानकारी देने और उन्हें जागरूक करने के साथ साथ मीडिया लोगो में डर भय अविश्वास और ख़ास विचारधार...

Nirav Modi: All you need to know...!!

🔰Nirav Modi: One of top 100 richest person in India. He was ranked 84 on the Forbes Richest List. Forbes magazine described him as the founder of the $2.3 billion (in revenues) of Firestar Diamond. His current net worth is $1.73 billion. He belongs to a family of Diamond merchants. His father name is Deepak Modi, a diamond businessman based in Belgium. 🔰Nirav Modi is school dropout and son of a diamond trader.(School dropouts are not always Pakoda sellers). 🔰Nirav Modi brand is all over the world, including the 2 in US, two in India, two in Hong Kong, Beijing, London, Singapore, Macau. 🔰Priyanka Chopra, who was the brand ambassador of his brand. 🔰Brand: Firestar Diamond and Nirav Modi. 🔰Nirav modi brother Neeshal Modi is husband of Mukesh Ambani’s niece, Isheta Salgaocar’s. (Daughter of Mukesh's sister Dipti). 🔰36 firms linked to Gitanjali Gems are under probe post-PNB scam. 🔰PNB Manager who issued Letter of Undertaking to Nirav Modi, was Gokulnath Shetty(on...