ये दुबला-पतला बुजुर्ग दिखने में तो आम आदमी है, लेकिन इन्हें कम मत समझिए. इनका रुतबा ऐसा है कि प्रधानमंत्री से लेकर महाराष्ट्र के सीएम तक इनका ऑर्डर मानते हैं।
वर्ष २००८ में गुरूजी का नाम देशभर में चर्चित हुआ था, जब उनके समर्थकों ने फिल्म जोधा-अकबर की रिलीज के खिलाफ थिएटर्स में तोड़फोड़ की थी। यही नहीं २००९ में भी उन्होंने अपने गृह शहर सांगली को उस वक्त ठप कर दिया था, जब आदिल शाह के सेनापति अफजल खान को मारते हुए शिवाजी की तस्वीर को गणेश पंडाल में लगाने से आयोजकों ने मना कर दिया था।
एक साक्षात्कार में मराठा समुदाय की आरक्षण मांग को नकारते हुए गुरूजी ने कहा था की मराठा इतिहास अद्भुत है और उन्हें देश का नेतृत्व करना चाहिए| मराठा समुदाय के लिए आरक्षण माँगना मतलब शेर को अंगरक्षक देना| दलित आरक्षण के बारे में उनके विचार भिन्न है| उनका कहना है की बाबा साहब आम्बेडकर ने सिर्फ १० साल के लिए आरक्षण की सिफारिश की थी लेकिन हमारे नेताओ ने वोटबेंक और राजनीती चमकाने के लिए आरक्षण का दुरूपयोग किया |
संभाजी भिडे गुरूजी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि २०१४ लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने सांगली रैली में सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए उनसे मुलाकात की थी. रैली में पीएम मोदी ने कहा भी था कि वे गुरूजी के बुलावे पर नहीं बल्कि उसे उनका आदेश मानकर आए हैं|
सुनिये मोदी जी क्या कह रहे हैं गुरु जी के बारे में
भीमा-कोरेगाव की घटना का सच
पिछले दिनों भीमा-कोरेगाव में जो भी हुआ उसके बारे में ग्रामीणों का कहना है की वर्षों से दलित और मराठा समाज के लोग भाई चारे से एक साथ रहते आए हैं। यहां के युद्ध स्मारक पर भी हर साल लोग आते हैं लेकिन कभी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। हम और मराठा लोग पहले भी एक थे, और आगे भी एक रहेंगे। गांव में जो कुछ भी हुआ, वह सब बाहरी लोगों के कारण हुआ।एक जनवरी, २०१८ को भीमा कोरेगांव से शुरू हुई अशांति के पीछे २९ दिसंबर की रात इस गांव में हुई एक घटना को माना जा रहा है। इसी गांव में छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र छत्रपति संभाजी राजे और उनका अंतिम संस्कार करनेवाले दलित समुदाय के गोविंद महाराज की समाधि है। माना जा रहा है कि गोविंद महाराज की समाधि पर लगाए गए छत्र को २९ दिसंबर की रात कुछ अज्ञात लोगों ने तोड़कर समाधि पर लगे नामपट को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था।
३१ दिसंबर की शाम शनिवार वाड़ा पर जिग्नेश मेवाणी एवं उमर खालिद की उपस्थिति में हुई यलगार परिषद के साथ इस घटना को भी एक जनवरी के उपद्रव की पृष्ठभूमि माना जा रहा है। इस गांव के मराठा और दलित दोनों समुदायों ने गोविंद महाराज की क्षतिग्रस्त समाधि को ठीक कराने एवं मराठा समाज पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज मामला वापस लेने का निर्णय किया।
संभाजी भिड़े के विरुद्ध कुछ असामाजिक तत्वों ने भीमा कोरेगांव के लिए उकसाने का आरोप है। उनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद उदयनराजे भोसले ने संभाजी भिड़े का खुलकर समर्थन किया है।
और केस दायर होने के तत्काल बाद अगले ही दिन स्वयं चलकर कोर्ट पहुँचे संभाजी भिड़े गुरूजी ने जैसे ही हाथ जोड़े, उनके सम्मान में SDM और पुलिस अधीक्षक हाथ जोड़कर खड़े हो गए, यह सम्मान कमाना पड़ता हैं और इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती हैं, बहुत ऊंचे आदर्श रखने पड़ते हैं। जिग्नेश मेवानी और प्रकाश आंबेडकर जैसे नही की जाति के नाम पर उकसा कर तोड़फोड़-आगज़नी-मारपीट से इज्जत नहीं कमाई जा सकती, एफआईआर इन दोनों के विरुद्ध भी दर्ज की गई थी पर यह अभी तक कोर्ट नही पहुँचे।
इसलिए मीडिया के बहकावे में आकर इन्हें दंगाई समझने की भूल ना करे, ये मानव के भेष में महामानव है और राष्ट्र के लिये अपना सब कुछ समर्पित कर चुके हैं, ऐसे महापुरुष पर दंगा भड़काने का आरोप लगाना सिर्फ विकृत मानसिकता का परिचायक है।
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तो सुनो, ये उमर खालिद💩 कॉन्ग्रेसी द
जवाब देंहटाएंसंभाजी को दलित आदिवासी मराठा सब चाहते है। यही इन वामपंथियो का पेट दर्द था और फिर षड्यन्त्र रचा इन वामपंथी JNU के वही गद्दारो ने जिन्होंने कहा था भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाह अल्लाह।
बेहतरीन ब्लॉग पूजा जी 👍
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