नमस्कार, आज का प्राइम टाइम वायर की आजा़दी पर हुए हमले के विरोध में है. आप सब यूसी ब्राउज़र पर हर तरह का लिंक खोलकर पढ़ने वालों से उम्मीद करेंगे कि आज आधा घंटा बीस मिनट जितनी देर यह प्रोग्राम चलता है, हमारे साथ रहें, ब्रेक में भी रहें क्योंकि क्रांति के साथ लेने के लिए चखना वहीं से आता है.
वायर पर जिस तरह सौ करोड़ का दावा किया गया है, वो यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि मोदी सरकार छोटे उद्योग पतियों के लिए कितनी ज्यादा खतरनाक है, इन लोगों ने पिछले तीन साल में जो कमाया वो एक झटके में छीन लिया गया. इनके मालिकों में दो महिलाएं हैं, दो महिलाओं से उनका सपना छीन लिया गया, उस करवा चौथ वाले दिन, जिसका जसोदाबेन न जाने कब से इंतज़ार कर रही हैं.
मैं करवा चौथ का विरोध करता हूँ, लेकिन मोदी का ज्यादा विरोध करता हूँ, इसलिए करवा चौथ का हवाला देना हलाल मानता हूँ.
मैं ही नहीं मेरे जैसे सारे और मेरे और उन सारों के चाहने वाले सब यह मानते हैं कि मोदी राम की पुरुषवादी सामंतवादी परम्परा क शासके हैं, राम ने सूर्पनखा की शक्ल खराब करा दी, मंदोदरी का सुहाग उजाड़ दिया और सीता को वन में निष्कासित कर दिया. वैसे राम थे नहीं, मगर ये वाली घटनाएं सत्य हैं.
इन्होंने भी जीवन भर यही किया है, एक ही प्रोग्राम में जसोदाबेन का दो बार नाम लूंगा तो भक्त जन मेरी माँ तक पहुँच जाएंगे. मगर रेफरेंस के लिए सोनिया बेन का नाम जरूर लूंगा जिनके परिवार को फोटोशॉप की मदद से बदनाम किया जा रहा है. इंटरनेट जाहिलों का एक पूरा गैंग उनके ज़हीन और वैज्ञानिक बेटे को पागल और "वो" साबित करने पर तुला है.
खैर वो अलग मुद्दा है, आज हम रोज़गार की बात करते हैं कि यह सरकार किस तरह से लोगों की आंख में धूल झोंकने का काम कर रही है.
मोदी सरकार स्टार्ट अप की बात करती है, मगर आंकड़े बताते हैं कि इसकी कोशिश हमेशा छोटे उद्योगपति का गला दबाकर अदानी को फायदा पहुँचाने की रहती है.
सोचिए अगर एक न्यूज़ पोर्टल अगर ऊलजलूल और मनगढ़ंत खबरें नहीं गढ़ेगा तो उसकी रीच और व्यूअरशिप कैसे बढ़ेगी. आप सोच नहीं सकते कि कैसी मुश्किलें पेश आती है ऐसी खबरें बनाने में कि साँप दे रहा था टैरिस पर अंडे, मगर क्या हुआ कि उसको डिश एंटेना का रुप धरना पड़ा. और वो कपड़े बदलने वाली लड़की जिसकी खबर हर बार नए क्लाईमेक्स के साथ तैयार करनी पड़ती है. कल्पनाशीलता पर इतना जोर पड़ता है कि सामने रखी चाय की प्याली में जाकिर हुसैन, सैफ अली खान और संतूर वाले भट्ट जी का लड़का तीनों दिखाई देते हैं, फुटेज के लिए लड़ते हुए.
ऐसे ही किसी क्षण में लिंकाकार ने उस हजारों गुना बढ़ोत्तरी वाली खबर सोची होगी. और वास्तव में वो खबर पूरी तरह कोरी कल्पना नहीं, गणित का चमत्कार दिखाने की कोशिश थी कि किस तरह एक छोटी सी हेराफेरी करके एक सिंपल से ए प्लस बी को डाइनोसॉरस की प्रमेय की तरह जटिल बनाया जा सकता है.
आज हम अपनी स्क्रीन काली हरी नहीं करेंगे, इसके सामने पचास रुपए जीएसटी समेत वाला छोटा पिज़्जा रखेंगे. छोटा वाला पिज़्जा दिखाता है स्टार्ट अप को. आज एक स्टार्ट अप की हत्या हुई है. आज हम उसे श्रद्धांजलि देंगे.
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विकास अग्रवाल
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