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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक प्रतीकों का अपमान


हम तो आपको अपमानित करेंगे अगर तुमने रोका तो ये हमारे संवैधानिक अधिकारों में आपका अतिक्रमण माना जायेगा. आप माने या नहीं लेकिन "धर्म एक आस्था का विषय है तब तक ही जब वो आपका है"

ज्यादा दिन नहीं हुए कुछ साल पहले एक फ्रेंच मैगजीन ने कटाक्ष किया तो खून की होली खेली गई साथ ही हर प्लेटफार्म से कहा गया की धार्मिक प्रतिको से उनके धर्म का अपमान हुआ था.

यूरोप को छोडिये भारत में ही ऐसे अनेको उदाहरण है उसमे से आमिर खान की फिल्म PK जिसमे भगवान् शंकर को भागते हुए फिल्माया गया है और सबसे ज्यादा विवादों में मकबूल फ़िदा हुसैन रहे जो हिन्दू देवियों के नग्न पेंटिंग बनाते थे और गर्व के साथ उसको अपनी कला भी बताते थे. यहाँ तक की जब उनसे माफ़ी मांगने को कहा गया तो माफ़ी मांगने से साफ़ इनकार करते हुए नागरिकता छोड़ के दुसरे देश का नागरिकता अपना लिया, कुछ दिन पहले इरफ़ान हबीब ने अपने सलून का अखबारों में विज्ञापन दिया है जिसमे देवी देवताओ को दिखाया गया है साथ में शीर्षक लिखा है "Gods too visit JH salon"

दुर्गाष्टमी पर शबाना आज़मी हिन्दू धर्म पर कटाक्ष करते हुए ये ट्वीट किया

लेकिन ट्वीट करने से पहले भूल गई कि अगर जबाब देने वाला भी उनके स्तर पर उतरा तो उनका धर्म खतरे में आ जायेगा। जो कि हर छोटे से छोटे बात पर आ जाता है।



क्या आपने आसपास देखा है कि कितने सामानों पर धार्मिक प्रतीकों का प्रयोग हुआ है, क्या आपने पता किया है उस प्रोडक्ट को यूज़ करने के बाद उस प्रोडक्ट के कवर जिस पर धार्मिक प्रतीक लगा था इसका का क्या हुआ। धार्मिक प्रतीक को प्रयोग करने वाले कौन से लोग है। दीपावली आ रही हैं और देवी देवताओं वाले पटाके मार्किट में आयेंगे और जिन देवी देवताओ की पूजा होती हैं उनके चित्र सड़को पर बिखरे मिलेंगे।

भगवन शिव का अपने  ब्रांड में इस्तेमाल करने वाले ये है "शिव बीडी" जो की "SHIV BIRI MANUFACTURING CO PRIVATE LIMITED" नाम से अपना व्यवसाय चलते है इसके डायरेक्टर है Latifuddin Biswas, Jakir Hossain और Majibur Rahman Biswas




कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हुए एक फैशन शो में लिसा ब्लू नामक फैशन डिज़ाईनर ने जो कलेक्शन पेश किया उसमें हिंदू देवी-देवताओं के चित्रों को अश्लील तरीके से इस्तेमाल किया गया। फैशन शो में एक मॉडल के अंत वस्त्रों पर और जूते चप्पलों पर हिन्दू देवी देवताओं की तस्वीरों का प्रदर्शन किया गया। यही काम अगर लिसा ब्लू के धार्मिक प्रतीकों के साथ हो जाये तो वो साम्प्रदायिक करार दे दिया जायेगा।

2016 में बीयर की बोतल पर गणेश जी की तस्वीर और जूतों पर ओम का निशान लगाया हुआ था। जिस पर के भारत स्काउट्स एंड गाइड्स कमिश्नर नरेश कडयान ने ओम के निशान के जूते बेचने वाली वेबसाइट yeswevibe.com और बीयर की बोतल पर भगवान गणेश का चित्र लगाने वाली वेबसाइट lostcoast.com के खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर भी दर्ज कराई थी।

अमेजन वेबसाइट का तो एक गन्दा इतिहास रहा हैं  देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्हों के अपमान वाले प्रोडक्ट् का जून 2016 में इन्होंने इस तरह के डोरमैट अपनी वेबसाईट पर लांच किए थे।

इसके पहले जनवरी, 2016 में अमरीकी मैगजीन फॉर्चून ने अपने कवर पेज पर अमेजन के सीईओ जेफ बेन्जाउस को विष्णु के अवतार में दिखा दिया था।

भारत मे भी वामपंथी संगठन जो खुद को नास्तिक बताते हैं लेकिन हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने से नही चूकते, मजे की बात देखिये खुद को नास्तिक बताते हैं पर किसी और हिन्दू धर्म छोड़ किसी और धर्म का ऐसा अपमान करते नही दिखते।

केरल में SFI यानी स्‍टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने मां सरस्‍वती का ऐसा पोस्‍टर लगाया था और अपनी इस गंदी हरकत को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम दिया!!

ऐसी ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता JNU के वामपंथी प्रोफेसर केदार मंडल ने नवरात्रि पर दिखाई थी।


अगर आप स्वयं को नास्तिक बता कर कला के चश्मे से धर्म और धार्मिक प्रतीकों को देखते है तो आपका ये दायित्व बनता है कि आप सारे धर्मो का बराबर सम्मान या बराबर अपमान करें ...आपके  नज़रिए में निरंतरता होनी चाहिए .ये नहीं की आप JNU में बीफ पार्टी करें एक धर्म को अपमानित करने पर पोर्क पार्टी करने की बात पर मनमोहनी चुप्पी साध ले।किसी भी धर्म के धार्मिक मान बिंदु आस्था के प्रतीक होते हैं और जिस तरह से अन्य समुदायो को अपने धार्मिक मान बिंदुओं के सम्मान की रक्षा का पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं उसी प्रकार हिन्दुओ को भी अपने धार्मिक प्रतीकों की रक्षा का अधिकार होना चाहिए। 

कोई भी धर्म हो उसके धार्मिक प्रतीकों का अपमान करने वालो के खिलाफ सरकार को एक कड़ा कानून बनाने की आवश्यकता है ,क्योंकि कला और अभिव्यक्ति के नाम पर ये लोग सिर्फ अपमान और लोगो के मन में क्रोध के सिवा कुछ उत्पन्न नहीं करते, सोचिए धार्मिक प्रतीकों के अपमान के बाद कल को कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो उसका दोषी कौन होगा? पर यहाँ यह बात ध्यानयोग्य होनी चाहिए कि कानून का गलत फायदा ना उठाया जाए.. एक तरफ आप ईशनिंदा के लिए कमलेश तिवारी पर NSA लगाकर जेल में डाल दे तो दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के प्रतीकों का अपमान करने वालो को कलाकार बताकर उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करे, जैसे मकबूल फिदा हुसैन की दिमागी गन्दगी को आर्ट बता कर बचाव किया गया, हमे यह भी मंजूर नही हैं अगर कमलेश तिवारी गलत हैं तो मकबूल फिदा हुसैन भी गलत था।


माज में तमाम बुराइयां है इसे दूर करने का भी प्रयास करना चाहिए, कलाकारों को उन पर तंज कसना चाहिए व्यंग करना चाहिए, कोई रीति रिवाज में कुछ कुरीति हो तो उसको आड़े हाथों ले पर धर्म पर सवाल उठा कर किस प्रकार का लाभ होगा ? समाज को भी ऐसे लोगो का संगठनों का हर तरह से बहिष्कार करना होगा जैसे अमेजन वाले मामले पर किया गया और अमेजन ने अपनी गलती मानते हुए सारे विवादित प्रोडक्ट वापस लिए।


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टिप्पणियाँ

  1. अब समय आ गया है, सभी को संगठित हो कर , जिस तरह से हिन्दू धर्म के देवी देवताओं का मख़ौल उड़ाया जा रहा है, इसका पूरा देश विरोध करे । एक जुट हो गए उस दिन ये सब बन्द हो जायेगा

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  2. बहुत घटिया हरकत हैं, सरकार को कड़ी करवाई करनी चाहिए।

    जवाब देंहटाएं

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