Image : Google हिन्दू धर्म में ॐ का महत्त्व “ॐ” और स्वस्तिक सनातन धर्म के प्रतीक हैं और इसे प्रथम प्राकृतिक ध्वनि कहा गया है| “ॐ” ब्रह्मांड की आवाज़ है | दैनिक जीवन में हम इस ध्वनि के प्रति सजग नहीं होते लेकिन ‘ॐ’ का जाप मनुष्य को पुरे ब्रह्माण्ड से जोड़ता है | खास कर योगक्रिया का अभ्यास करते समय ॐ का उच्चारण करना लाभदायक है| अक्सर ‘ॐ’ के उच्चारण को ले कर आप ने बहस सुनी होगी| ॐ को समझने के लिए " प्रणव बोध" और " ओमकार निर्णय" ऐसी पुस्तकें लिखी गई है | ओम (ॐ ) शब्द हिन्दुओं का सर्वाधिक पवित्र शब्द तथा ईश्वर का वाचक कहा गया है। यजुर्वेद ४० / १७ में कहा गया है "ओम ख़म ब्रह्म " - ओम ही सर्वत्र व्याप्त परम ब्रह्म है। आइये हम जानने की कोशिश करते है ‘ॐ’ अर्थ और उसका महत्त्व| ‘ॐ’ एक पवित्र ध्वनि नाद या मंत्र है जिसकी उद्गम भाषा है संस्कृत | ‘ॐ’ का अर्थ है उच्चतम, श्रेष्ठ या सर्वोच्च| इस पवित्र मंत्र का उच्चारण से एक प्रकार का कम्पन निर्माण होता है जिसे महसुस किया जा सकता है| सामान्य से दिखने वाले यह एकाक्षरी मंत्र में पुरे ब्रह्माण्ड को नियंत्र...