हम अपनी पहले की पोस्ट में भी घुसपैठिये रोहिंग्या मुस्लिमो से सम्बंधित समस्या उठाते रहे हैं और इनसे देश के लिए गम्भीर खतरा हो सकता हैं इसकी आशंका भी जताते रहे हैं। यहाँ तक की केंद्र सरकार ने सितम्बर 2017 में रोहिंग्या मुसलमानों पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है, ये हलफनामा 16 पन्नों का है जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर करने की वजहों को बताया गया है। केंद्र सरकार ने रोहिंग्या को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। वहीं कई रोहिंग्या के आतंकी संगठनो से संपर्क की बात कही गयी थी। सरकार ने हलफनामे में कहा है कि अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को देश में रहने की इजाजत नहीं दी सकती है और सरकार के मुताबिक भारत में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 40 हजार से अधिक हो गई है।
रोहिंग्या घुसपैठियों का गढ़ हैं सुंजवाँ आर्मी कैम्प
अभी 10 फरवरी को जम्मू में सुंजवां आर्मी कैंप पर आतंकी हमला हुआ जिसमे हमारे 5 जवान शहीद हो गए और इस फिदायीन हमले के तार रोहिंग्याओं से जुड़ रहे हैं। सुंजवाँ इलाका रोहिंग्या घुसपैठियों की बस्ती के लिए मशहूर हैं। सुंजवां सैन्य कैंप के पीछे और एक किलोमीटर पहले तकरीबन तीन सौ झुग्गियां रोहिंग्याओं की है। तीन प्रमुख झुग्गियों में किरयानी तालाब, कासिम नगर और छन्नी रामा की रोहिंग्या बस्ती प्रमुख रूप से है। इन तीनों बस्तियों में 80-80 झुग्गियां हैं। बाकी रोहिंग्या तितर-बितर होकर अन्य इलाकों में रहते हैं। भारतीय खुफिया सूत्र सरकार को पहले ही आगाह कर चुकी है कि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकी बनाकर देश के खिलाफ इस्तेमाल करने की फिराक में है। ऐसे में सैन्य ठिकाने पर हमले में रोहिंग्या लोगो के हाथ होने से इनकार नही किया जा सकता क्योंकि यह इलाका अवैध रूप से बसे रोहिंग्या लोगो का गढ़ हैं।
जम्मू कश्मीर के त्रिकुटा नगर और छन्नी थाने में रोहिंग्या लोगो पर नशा तस्करी, अवैध रूप से रोहिंग्याओं को रियासत में लाना और पशुवध जैसे आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। इन मामलों के बाद बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसी भी इन पर नजर बनाए हुए हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर कैंप की पुख्ता जानकारी फिदायीन दस्ते को कैसे हुई? क्या हमले से पहले कैंप की पूरी रेकी की गई थी? सूत्रों के मुताबिक आसपास के लोगों से रोहिंग्याओं को पूरे कैंप की पूरी जानकारी थी। किस हिस्से में कौन सी चीजें हैं, कौन से क्वार्टर किस जगह पर स्थित है। इन्हीं जानकारी के आधार पर फिदायीन दस्ता कैंप में दाखिल हुआ होगा। गौरतलब है कि कैंप के सामने ही बीते सितंबर में ही रोहिंग्याओं को लेकर भारी बवाल हुआ था। उसके बाद उनके आतंकियों से मिले होने की बात स्थानीय लोगों द्वारा कही जा रही थी।
जम्मू कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष ने भी आतंकी हमले के पीछे रोहिंगा कनेक्शन की आशंका जताई
यहाँ तक कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर कविंद्र गुप्ता ने इस हमले को रोहिंग्या मुसलमानों से जोड़ा है। उन्होंने आशंका जताई हैं कि हो सकता है आतंकियों ने हमले के लिए रोहिंग्या को हथियार बनाया हो। कवींद्र गुप्ता ने आगे कहा, "मैं उसी विधानसभा क्षेत्र में रहता हूं। वहां से कई शिकायतें आती हैं। सरकार भी मानती है कि यहां रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या बढ़ी हैं तथा वे देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।"
विधानसभा के स्पीकर ने कहा, "जहां रोहिंग्या रहते हैं वहां की छत से सेना के इलाके को देखा जा सकता है। इन इलाकों में ड्रग माफिया रहते हैं। पैसों के लिए कुछ लोग उन्हें (ड्रग माफिया को) रहने का ठिकाना मुहैया कराते हैं। सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए।" रोहिंग्या लोगो को नशे के कारोबार में शामिल होने के मामले जम्मू पुलिस के पास रजिस्टर्ड हैं जिसका जिक्र हम ऊपर भी कर चुके हैं।
अब सबसे महत्त्वपूर्ण सवाल यह उठता हैं कि रोहिंग्या लोग म्यामार से चलकर जम्मू कश्मीर जैसे इस्लामिक आतंक से पीड़ित राज्य में पहुँचे कैसे, और इतनी बड़ी बस्ती जम्मू में इन्होंने क्यो बसाई? और यह किस साजिश के तहत आर्मी के बेस कैम्प के पास अपनी इतनी बड़ी बस्ती बनाने में कामयाब हुए? यह एक सुनियोजित साजिश के तहत हिन्दू बहुल जम्मू की जनसँख्या की गणित को बिगाड़ने की कोशिश हैं। एक एक रोहिंग्या परिवार 10 से 15 बच्चे हैं इनकी छोटी उम्र में शादी कर दी जाती हैं और परिवार नियोजन के कोई साधन ना अपनाने की वजह से जनसंख्या वृद्धि अनियंत्रित तरीके से बढ़ती जाती हैं। इस सुनियोजित साजिश के पीछे कौन लोग हैं उन्हें जांच एजेंसीज के जरिये बेनकाब किया जाना चाहिए।
ये सवाल सोशल मीडिया पर भी प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि से हमारा देश पहले से जूझ रहा हैं, ऐसे में इतनी बड़ी रोहिंग्या लोगो की जनसंख्या के लिए भारत जैसा विकासशील देश कैसे संसाधन जुटा पायेगा, हमारी सरकार मूल भारतीयों के लिए नौकरी की व्यवस्था नही कर पा रही हैं, तो इनके लिए रोजगार कैसे उपलब्ध हो पायेगा? सनद रहे कि भारत का एक लिबरल तबका इन्हें अपने यहाँ शरण देने की वकालत करता हैं और वही तबका स्वरोजगार को भीख मांगने जैसे निरकृष्ट कार्य से तुलना करता हुए सरकार का मजाक भी उड़ाता हैं, यह तबका बताये की जब भारत मे नौकरियां नही हैं जीवन की न्यूनतम सुविधाएं नही हैं तो इन्हें क्यो शरण दी जाए? और क्या इससे मूल भारतीयों के अधिकारों का हनन नही होगा?ये 3000 KM चल वहां पहुचे कैसे बैगर पासपोर्ट और इतनी बडी संख्या में, पैदल गये, ट्रेन में बसों मे या हवाईजहाज से ? और कहीं कोई ना रोका ना टोका इन्हें, फिर भी कहते हैं हम चोकस और सुरक्षित हैं ? आश्चर्यजनक, ना सीमऐं सुरक्षित ना भितर ही..— Rajesh तामड़ेत (@RajeshTamret) February 11, 2018
इसपर भी कुछ शोध कर लिखें कृपया
सुप्रीम कोर्ट ने भी इन्हें भारत से ना निकालने के लिए सरकार को आदेश दिया हैं, और सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या लोगो की तरफ से मुकदमा प्रशान्त भूषण जैसे लोग लड़ रहे हैं, क्या वे लोग इस आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेंगे? इस पर उनकी तरफ से यह तर्क आ सकता हैं कि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की हैं तो हमे यह बताया जाए कि अतिरिक्त पुलिस बल, खुफिया विभाग के अधिकारियों का खर्च कौन वहन करेगा?
रोहिंग्या घुसपैठियों पर सरकार का उदासीन रवैया
यह सच हैं कि रोहिंग्या घुसपैठ कांगेस सरकार के दौर में हुई थी, और अभी सरकार ने सीमाओं पर सख्ती कर रखी हैं जिसकी वजह से रोहिंग्या घुसपैठ बहुत हद तक नियंत्रित किया जा चुका हैं, यहाँ यह बात भी ध्यान देने योग्य हैं कि रोहिंग्या लोगो को देश के अंदर आने देने के लिए भी "काबिल वकील प्रशांत भूषण" सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं। लेकिन जो रोहिंग्या लोग पहले आ चुके हैं उन्हें निकालने के लिए सरकार बहुत ही उदासीन रवैया अपना रही हैं। यहाँ तक कि जम्मू में उन्हें बिजली के कनेक्शन दिए जा रहे हैं। बताया जा रहा कि वर्ष 2008 से 2017 तक 7,273 बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को बिजली कनेक्शन दिए गए, इस दौरान इन कनेक्शनों से बिजली विभाग ने 142.53 लाख रुपये का बिजली बिल बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों से वसूल किया है। बिजली विभाग बता रहा हैं कि यह कनेक्शन अस्थायी तौर पर दिए गए हैं परन्तु बिजली विभाग का यह भी दावा है कि उनके पास इन बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों ने स्थाई कनेक्शन के लिए भी आवेदन दिए हैं. इस कनेक्शन के लिए इन परिवारों ने आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज भी दिए हैं।
यह दोहरी नीति बताती हैं कि सरकार इन्हें निकालने के लिए कितनी गम्भीर हैं।
रोहिग्या मसले पर लिखी हमारी इन पोस्ट्स को भी पढ़े।
1- देश के खिलाफ साजिश : रोहिंग्या शरणार्थी
2- भारत को रोहिंग्या शरणरार्थियो को शरण क्यो नही देनी चाहिए?
3- म्यांमार में हिंदू समुदाय पर मुस्लिम रोहिंग्या आतंकियों के जुल्म की सच्ची कहानी
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Awantika🇮🇳 (@SinghAwantika)
सरकार इनका पुख्ता इन्तज़ाम कब करेगी। देश के खतरनाक है, चुनचुनकर बाहर खदेड़ना चाहिए।
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