शीर्षक पढ़कर इस भ्रम में मत पढ़िए कि इस लेख के जरिये किसी प्रकार के सांप्रदायिक सोच को हवा देने की कोशिश की जा रही है। जब हम मुस्लिम आतंकियों की बात करते हैं तो बस मुस्लिम समुदाय की नहीं बल्कि इस समुदाय की सोच में शामिल आतंकवाद से पर्दा हटाकर उसको आपके सामने लाते है। पूरी दुनिया में ISIS का आतंकवाद और उनके आतंकवादियों द्वारा लोगो को मारने वाले विडिओ हम आये दिन समाचार में और अपने फ़ोन में वायरल वीडियो के जरिये देखते हैं। दो राइफल लिए आतंकवादियों के बीच एक मासूम को घुटनो के बल बैठाकर कैसे गला रेत देते हैं या गोली मार देते हैं, उन जिहादियों की इस बर्बरता से दुनिया का बच्चा बच्चा वाकिफ है। इस्लामिक आतंकवाद का ये चेहरा किसी से छुपा नहीं है और इसी आतंकी सोच को अंकित सक्सेना मर्डर में देखा जा सकता है।
दिल्ली में 23 साल के अंकित सक्सेना को एक मुस्लिम परिवार ने सिर्फ इसलिए गला रेतकर हत्या कर दी क्योकि वो उनके परिवार की मुस्लिम लड़की से प्यार करता था। हत्या करने का तरीका ठीक वैसा ही था जैसे ISIS जैसे इस्लामिक आतंकवादी संगठन किया करते हैं। सूत्रों और प्रत्यक्षदर्शियो के अनुसार पहले अंकित सक्सेना के गले में चाकू मारा फिर दो लोगो ने उसे बीच सड़क पर पकड़कर रखा था और मुस्लिम लड़की के पिता ने दो बार चाकू मारने के बाद गला रेतकर उसे मार डाला। ये सब आतंक का मंजर बीच सड़कपर होता रहा जिसमे अंकित सक्सेना की माँ इन आतंकवादियों से अपने बेटे की जान की भीख मांगती रही लेकिन उन आतंकियों ने अंकित की माँ को भी मारकर घायल कर दिया। इधर सड़क पर अंकित सक्सेना का खून से लथपथ लाश पड़ी रही और राजधानी के साथ पुरे देश में इस खबर से मानो सनसनी फ़ैल गयी, लेकिन मुख्यधारा की बिकाऊ मिडिया मुस्लिम समुदाय को खबर से दूर रखने की नाकाम कोशिश करते रहे। अभी कासगंज में मुस्लिम आतंवादियो द्वारा चन्दन गुप्ता की हत्या के 10 दिन नहीं हुए और इन्होने अपना घिनौना चेहरा फिर से उजागर कर दिया। अंकित सक्सेना के भयावह हत्याकांड से एक बार फिर दोहरी मानसिकता से ग्रसित मिडिया और फर्जी बुद्धिजीवियों के दोगलेपन का पर्दाफाश होने लगा है।
जिस तरह कासगंज में चन्दन गुप्ता हत्याकांड में मुस्लिम आतंकवादियों का नाम छुपाया गया, ठीक उसी तरह अंकित सक्सेना हत्याकांड में भी इन आतंकियों के नाम पर पर्दा डाला जा रहा है। पिछले 10 दिन में कासगंज और दिल्ली में मचा आतंक दोहरेपन से शिकार मुख्यधारा की मिडिया और मीडियकर्मी दोनों के मानसिक दिवालियेपन की चीख चीखकर गवाही दे रहे हैं। लेकिन इनकी बेशर्मी देखिये ये खुले आम न केवल इनके समुदाय बल्कि इनके नाम पर भी पर्दा डालते हैं और इनकी पैरवी में बहस करने के लिए भी तैयार हो जाते है।
कासगंज में चन्दन गुप्ता के हत्यारो के बचाव में मिडिया का एक वर्ग और कुंठित मानसिकता से ग्रसित बुद्धिजीवियों का कुतर्क कहता हैं कि वहाँ भड़काऊ भाषण दिए जा रहे थे, गणतंत्र दिवस नहीं बल्कि VHP और ABVP की रैली थी और हिंदुस्तान में रहना होगा तो भारत माता कहना होगा जैसे नारे लगा रहे थे। तो क्या नारे हत्या को जायज़ ठहरा दोगे, या प्यार करने के लिए गला रेत दोगे? फिर तो जिस अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर तुम देश के टुकड़े टुकड़े करने की बात कहते हो और राष्ट्रगान के लिए खड़े होने में तुम्हारी कमर टूट जाती है उसी का हवाला देकर तुम्हे भी कोई गोली मार दे तो उसको भी जायज कहा जायेगा। आज फिर से मिडिया और बुद्धिजीवियों का ये वर्ग अंकित सक्सेना की हत्या के पीछे की आतंकवादी सोच को ऑनर किलिंग कहकर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है। अंकित सक्सेना ने तो कोई नारा भी नहीं लगाया, उसकी प्रेम करने की साधारण चेष्टा की सजा बीच सड़कपर उसका गला रेतकर दोगे?Secularism in Indian Media in a nutshell— Ankur Singh (@iAnkurSingh) February 3, 2018
Left pic- When a Muslim guy is murdered for dating Hindu girl
Right pic- When a Hindu guy is murdered for dating Muslim girl
(screenshot credits- @attomeybharti) pic.twitter.com/vRenAzr74p
नीचे देश के बड़े मीडिया हाउस की हेडलाइन दी गयी हैं, पढ़िए और समझिए इनका डबल स्टैंडर्ड, साथ मे यह भी तय करिये की कौन देश मे साम्प्रदायिकता फैला रहा हैं।
गौर करने वाली बात है कि ये वही लोग जो राजस्थान में एक मानसिक विक्षिप्त शम्भुनाथ रैगर द्वारा बर्बरता से की गयी हत्या को सांप्रदायिक रंग में ढालकर हिन्दू आतंकवाद चिल्ला रहे थे। शम्भुनाथ रैगर भटका हुआ नौजवान नहीं सही, लेकिन उसने जो हत्या की थी उसे लव जिहाद का नाम या ऑनर किलिंग का नाम क्यों नहीं दिया इनलोगो ने? सच्चाई तो यह है की इनको एजेंडा से मतलब है और वो बेचने के लिए ये बेशर्मी की किसी भी हद तक गिर सकते हैं। शम्भुनाथ वाली घटना को किस तरह शेखर गुप्ता जैसे बिकाऊ वरिष्ठ पत्रकार ने तोड़ मरोड़ कर हिन्दुओ को बदनाम करने के लिए किया था इसका खुलासा तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट के जरिये शेखर गुप्ता के साथ हुए बातचीत को सार्वजनिक करके बताया था।
अतीत की किसी भी आपराधिक घटना को उठाकर देख लीजिये, कहीं भी मुस्लिम की हत्या हुई हो फिर चाहे कारण कोई भी क्यों न हो उसे देशव्यापी मुद्दा बनाया गया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण दादरी में अख़लाक़ हत्याकांड है जहाँ पुरे देश को असहिष्णुता के रंग में रंगा गया। पुणे में हत्या हो या राजस्थान में ऑनर किलिंग हर जगह साफ़ शब्दों में मुस्लिमो का नाम लिखा गया और जबरदस्ती हिन्दू आतंकवाद थोपने की कोशिश की गयी। एजेंडा बेचने वाले इन बिचौलियो ने तो बस पर पत्थर मरने वाले कुछ उपद्रवियों के कारण पुरे राजपूत समाज को आतंकवादी बोल दिया था। ये घटनाये मिडिया में जिस कदर हावी रही उसका अंश मात्र महत्व भी इन्होने कासगंज में हुए मुस्लिमो द्वारा गोलीबारी और दिल्ली में अंकित सक्सेना की मुस्लिमो द्वारा की गयी हत्या को नहीं दिया और इनकी बेशर्मी देखिये कि यहाँ मुस्लिमो का नाम तक लिखने में कोताही बरती जा रही है। मुस्लिम के मसीहा बनकर घूमने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अंकित सक्सेना के मर्डर पर अपना मुँह तक नहीं खोला है।शम्भूनाथ रैगर ने अफराजुल की हत्या तो उसमें इन्हें साम्प्रदायिकता दिखी थी, सीट के झगड़े में जुनैद मारा गया उसको भी इन्होंने साम्प्रदायिक हत्या करार दिया था लेकिन आज इन्हें अंकित की हत्या ऑनर किलिंग लग रही हैं.. सच तो यह हैं कि जब बात मुस्लिम की आती है तो इनका नजरिया बदल जाता है pic.twitter.com/sgcW8omq5K— Awantika🇮🇳 (@SinghAwantika) February 3, 2018
अंकित मर्डर में भाजपा नेता भी राजनीती करने से नहीं चुके। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ये बयान देते पाए गए कि ये एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जिसे नियोजित तरीके से अंजाम दिया गया और इसे किसी सांप्रदायिक रंग में नहीं रंगा जाये। क्यों भाई!! डॉ नारंग की हत्या किसने किसने की थी? चन्दन गुप्ता की हत्या किसने की थी? जब दादरी में भीड़ का धर्म हो सकता है, शम्भुनाथ रैगर का धर्म हो सकता है, बस पर पत्थर फेकने वाले का धर्म हो सकता है तो अंकित सक्सेना के हत्यारो का धर्म बताने में डर क्यों लग रहा है आपको? आपको इस बात का डर तो नहीं कि ऐसा कहना 20 साल से दिल्ली की गद्दी को पाने का सपना किसी वोट बैंक को नाराज ना कर दे। अगर ऐसा है तो वोट बैंक की राजनीती करने वाले देश से ख़त्म हो रहे हैं और आपकी दाल भी बिलकुल नहीं गलने वाली। बेहतर है सच का सामना कीजिये और उसे बोलने का साहस रखिये या फिर तजिंदर बग्गा जैसो को ये काम सौंप दे जिनमे हिम्मत है ऐसा कहने की।This is Salima, the girl with whom #AnkitSaxena was going to marry.— Rita (@RitaG74) February 3, 2018
Those projecting it as an honour killing must remember that killing of Ankit would not have saved Salima's family honour. Ankit is murdered brutally only for being a Hindu. pic.twitter.com/XPId4pB0bo
मिडिया के इस वर्ग और फर्जी बुद्धिजीवियों का यही दोगलापन लोगो के आक्रोश की वजह है, मुस्लिम कट्टरपंथियों के मामले में ये बड़ी चालाकी से उसे इग्नोर कर देते हैं। अगर किसी भी घटना में पीड़ित की जाति और समुदाय देखकर उनका आंकलन किया जायेगा तो इनका ये नकाब नोचकर हम सच सामने लाएंगे। सेलेक्टिव जर्नलिज्म का पर्दाफाश करेंगे और सच्चाई को तवज्जो दिया जायेगा। ऑनर किलिंग में बाप, बेटा या भाई हो सकता है, लेकिन अगर बीच सड़क पर मुस्लिम औरत गला काटने में साथ दे तो उसे इस्लामिक आतंकवाद का चेहरा ही कहा जायेगा। अंकित सक्सेना का मर्डर आतंकी विचारधाराओ से प्रभावित मुस्लिमो ने की है यही सबसे बड़ा सच है और इसे मिडिया कितना ही छुपा ले, जनता उसका सच जानकार ही रहेगी।He didn't go to any girl's house. Communal angle shouldn't be given to organised crime. His family has lost their only earning member & so I want a compensation of Rs 1 cr for them: Delhi BJP chief Manoj Tiwari after meeting family of Ankit, photographer killed in Khyala on Feb 1 pic.twitter.com/qrGikvzpZK— ANI (@ANI) February 3, 2018
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