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रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण: नारी सशक्तिकरण का उदाहरण



बीजेपी नेत्री निर्मला सीतारमण तमिल नाडु की मूलनिवासी हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से उन्होंने एमफिल किया हैं। निर्मला सीतारमण कर्नाटक से राज्य सभा सांसद हैं और बीबीसी वर्ल्ड एवं प्राइसवाटर हाउसकूपर जैसी विख्यात संस्थाओं के साथ काम करने का उनका अनुभव भी रहा हैं। 

58 साल की सीतारमण अब देश की पहली फुल टाइम महिला रक्षा मंत्री हैं। अब वह सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी (CCS) की सदस्य भी होंगी। CCS में पीएम, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री भी शामिल होते हैं।
निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2006 में भाजपा ज्वाइंन किया था और मात्र 11 साल में पार्टी ने उन्हें रक्षा मंत्री का जिम्मेदार पद सौंपा है। उन्हें पार्टी में लाने का श्रेय भाजपा की वरिष्ठ नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को जाता है। वर्ष 2010 में जब पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता बनाया तो उन्होंने जिस मजबूती के साथ पार्टी को डिफेंड किया और अपनी बातों को रखा पार्टी में उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। 26 मई 2016 को निर्मला सीतारमण को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री के रूप में मिला। साथ ही उन्हें कारपोरेट मामलों का मंत्री भी बनाया गया, जो वित्तमंत्रालय के अधीन था। निर्मला सीतारमन का ताल्लुक दक्षिण भारत के दो राज्यों से हैं. उनका जन्म तमिलनाडु में हुआ है लेकिन उनका ससुराल आंध्र प्रदेश में  हैं और अब वर्ष 2016 से दक्षिण के तीसरे राज्य कर्नाटक से राज्यसभा सांसद भी हैं।


उनके मंत्री बनते ही तरह तरह की चर्चा शुरू हो गयी मीडिया में, किसी ने कहा उनकी लोकप्रियता नहीं है, कभी चुनाव नहीं लड़ा तो कोई कह रहा हैं कि रक्षा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय को चलाने के लिए कोई तजुर्बेकार नेता को मंत्री बनाया जाना चाहिए था, किसी ने कहा महिला को मंत्री बन के मोदी जी ने टोकनिस्म किया है और सबसे हास्यास्पद एक आरोप ये भी लगा की उनकी एकमात्र उपलब्धि उनकी अंग्रेजी भाषा पर पकड़ है जिसके चलते हिंदी पट्टी के राज्यो की कही जाने वाली पार्टी बीजेपी ने उन्हें रक्षा जैसा महत्त्वपूर्ण मंत्रालय दिया।

ये सारे तर्क कितने कमज़ोर है ये हम आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते है।

पहला आरोप- लोकप्रियता नही तो मंत्री पद क्यों?

भाई जब 10 साल इस देश ने राज्यसभा से सांसद कभी कोई आम चुनाव ना लड़ने वाले को देश का प्रधानमंत्री देखा हैं तो रक्षा मंत्री में क्या दिक्कत हैं?

दूसरा आरोप तजुर्बे की कमी!!

जब अक्टूबर 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनाये गए थे तब उनको मंत्रालय में काम करने का जीरो एक्सपीरियंस था, निर्मला जी तो फिर भी मंत्री पद सम्भाल चुकी है।

तीसरा आरोप tokenism !!

अब अगर मोदी जी को टोकनिस्म ही करना होता तो कोई कम महत्वपूर्ण मंत्रालय दे सकते थे चार सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय में से एक रक्षा ही क्यों दिया गया ?

चौथा आरोप- कमजोर रक्षामंत्री!!

भाई द ग्रेट खली को रक्षामंत्री बना दे उससे मजबूत आदमी कहाँ मिलेगा, हद हैं!!

और अंत मे सबसे कमजोर तर्क अंग्रेजी वाला है ...जिस पार्टी ने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री दिया हो जो संयुक्त राष्ट्र महासभा में जा कर हिंदी में संबोधन करते हो उनको अंग्रेजी के प्रति कोलोनियल मानसिकता क्यों होगी भला?

निर्मला जी को यह जिम्मेदारी उनकी इन योग्यता को देखकर मिली।

पार्टी प्रवक्ता और कॉमर्स मिनिस्टर के रूप में निर्मला जी ने तेजी से सीखने और शब्दों के उचित उपयोग का कौशल दिखाया। लोग कहते हैं कि वह मनोहर पर्रिकर की तरह जरूरत से ज्यादा बोलने वालों में से नहीं हैं। दूसरा गुण निजी ईमानदारी का है। रक्षा मंत्रालय भारत के सर्वाधिक कुख्यात घोटाले के केंद्र में रहा है, पीएम और बीजेपी अध्यक्ष ने निर्मला की 'ईमानदारी को संदेह से परे' पाया है। तब जाकर उन्हें इतना बड़ा प्रमोशन मिला।


एक और पहलु जो कम ही लोगो को पता होगा कि निर्मला सीतारमण के पति पारकला प्रभाकर जिनसे उनकी मुलाकात जेएनयू में पढ़ाई के दौरान हुई थी उनकी मां कांग्रेस की विधायक रहीं हैं, जबकि ससुर आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं, निर्मला जी चाहती तो वो भी कांग्रेस ज्वाइन करती और आसानी से उच्च पद हासिल करती पर उन्होंने अपनी विचारधारा के अनुरूप भाजपा ज्वाइन की और अपना एक मुकाम बनाया पार्टी में ये है असली महिला सशक्तिकरण जिसके सपने कांग्रेस के राहुल गांधी जी अकसर दिखाया करते हैं।

अभिनेता रणदीप हुड्डा कहते हैं "केंद्र सरकार में एक महिला का रक्षामंत्री होना इस देश में महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा संकेत"
 अभिनेता अनुपम खेर कहते हैं की भारत ने सुषमा स्वराज और निर्मला सीतारमन को कैबिनेट में जगह दे भारत की महिला शक्ति विश्व को दिखाई



पत्रकार बरखा दत्त ने निर्मला सीतारमण को रक्षामंत्री बनाये जाने पर ऐसे प्रतिक्रिया व्यक्त की


लेखक का ट्विटर पता: अंकुरानंद मिश्र (@ankur9329): https://twitter.com/ankur9329?s=09





टिप्पणियाँ

  1. Ankur ji, very nicely articulated article. But inclusion of Barkha's comment ? 😛😛😛

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    1. सर, बन्द घड़ी भी 24 घण्टे में दो बार सही टाइम दिखाती हैं यह स्क्रीन शॉट उसी समय का लिया गया हैं 😜😜

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    2. हा हा ...सही कहा गुमनाम जी ....
      प्रदीप जी ये फैसला इतना बढ़िया है सरकार का अमूमन विरोधी रहने वाले पत्रकार भी तारीफ कर रहे ,इसलिए उनके मत कोई भी जगह दी गयी ब्लॉग में

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  2. अंकुर जी, सच तो यह हैं कि निर्मला सीतारमण के बारे में ज्यादा जानकारी नही थी आपने उनका अच्छा परिचय कराया हैं, साथ मे बिना मतलब की आलोचना पर भी व्यंगात्मक लहजे में ठीक से सबक सिखाया हैं.. मेरी तरफ से 10/10 नम्बर इस पोस्ट के लिए।

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  3. तथ्यपरक लेख।साधुवाद। सुषमा स्वराज जी ही निर्मला सीतारमण जी को भाजपा में लाई और उनकी राजनीतिक गुरु बनी। सुशिक्षित, कर्मठ, ईमानदार व राष्ट्रभक्त रक्षामंत्री हैं वो हमारी। महिला सशक्तिकरण का अनूठा दौर आरम्भ हुआ है।
    कहना नही चाहिए पर सेना में इस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है कि कोई निर्मला जी जैसा जुझारू प्रकृति का नेता ही उससे निपटने में सक्षम हो सकता है। साथ ही मोदीजी का सतत मार्गदर्शन है ही उनके साथ। अमित शाह जैसे वरिष्ठ नेताओं का वरद हस्त है उनके सिर पर। कहने वाले तो कुछ भी कहने से कौन रोक सकता है भला। निःसंदेह वो उत्तम रक्षामंत्री साबित होंगी, मोदीजी एयर उनकी टीम अपने इस चयन के लिए बधाई के पात्र हैं।अनेकानेक शुभकामनाएं।

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  4. बहुत अच्छा प्रयास , लेखक को साधुवाद 🙏

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  5. बहुत ही अच्छी जानकारी वाला लेख, लेखक को साधुवाद ऐसी जानकारी हम तक पहुंचाने के लिए!!

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