जब भी तीज त्योहरों का मौसम पास आता हैं, एक अजीब तरह के लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हो जाते हैं. कुछ तो शालीनता से अपनी बात रखते है, लेकिन कुछ लोग गाली गलौज पे उतर आते हैं. कुछ मज़ाक उड़ाने वाले भाव में अपना ज्ञान बांटते दिखते हैं. कुछ लानत भेजते दिखते हैं. अभी कुछ दिनों पहले करवा चौथ खत्म हुआ है. ज्ञान देने वालो की तो जैसे एक बाढ़ सी ही आ गयी. ऐसा लगा की जो लोग यह त्यौहार मनाते हैं उनसे गया गुजरा जीव इस धरती पर हो ही नहीं सकता. ऐसे ज़माने में, जब मनुष्य कबका चाँद पर हो कर आ गया है , आप चाँद की पूजा कर रहे हो? चाँद को देख कर व्रत तोड़ रहे हो? राम! राम! राम! शायद इस वाक्य से पहले लिखे तीन शब्दों पर भी मुझे लताड़ा जा सकता हैं. पर क्या करें, पुरानी आदत है, आराम से नहीं जाएगी. इन तीज त्योहारों के पास आते ही, आप को विज्ञान, पर्यावरण, प्रदुषण और इन सबसे ऊपर तर्क शास्त्र, सभी का संम्मिश्रण करके ऐसा धोबी पछाड़ दिया जाता है कि जीवन में कभी कोई व्रत नहीं रखने वाला भी लहूलुहान हो जाये. और व्रत रखने वाले अगर कोमल दिल के हों तो आत्मग्लानि से भर जाए...