21 अगस्त 2017 को मालेगांव बम धमाके को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नल पुरोहित को जमानत दी थी और आज एनआईए कोर्ट ने इन दोनों के ऊपर से मकोका और आर्म्स एक्ट की धाराएं भी हटा दी। वे आठ साल से जेल में बंद थे। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि हम बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को ध्यान में न रखते हुए पुरोहित को जमानत दे रहे हैं। कर्नल पुरोहित भारतीय सेना के इंटलीजेंस डिपार्टमेंट के लिए काम करते थे।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हिन्दू आतंकवाद नाम के शब्द को जस्टिफाई करने के लिए कर्नल पुरोहित को इस केस में सिर्फ अपने वोटबैंक (आप समझ सकते हैं) को खुश करने के लिए फँसाया था, आप समझ सकते हैं अगर साजिशकर्ता सरकार में हो तो कितने गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। कर्नल पुरोहित को आतंकवाद के दो झूठे मामले में फंसाया गया पहला मालेगांव दूसरा समझौता एक्सप्रेस था, मालेगांव मामले में उन्हें आज जमानत मिल गयी और समझौता एक्सप्रेस वाले मामले में एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार ने कहते हैं।
“समझौता विस्फोट मामले में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। वह कभी भी आरोपी नहीं था। मुझे हैरानी है कि समझौता विस्फोट मामले में उसका नाम क्यों जोड़ा जा रहा है।”
यहाँ तक की एनआईए 8 साल के लंबे वक्त के बावजूद उनके खिलाफ चार्जशीट तक दायर नही कर पाई, यह क्या कम चौंकाने वाली बात है। खासतौर पर इसलिए भी कि उन्हें सेना वेतन भी दे रही है। साफ है कि सेना भी उन्हें निर्दोष मानती है। अब सवाल उठता हैं कि आखिर कर्नल पुरोहित को क्यो फँसाया गया? हिन्दू आतंकवाद को जस्टिफाई करने के अलावा वरिष्ठ पत्रकार मधु किश्वर एक और एंगल इस केस पर देती हैं कि ‘ले.कर्नल पुरोहित के सीने में कई राज हैं। उनमें कुछ ऐसे हैं जो देश के कई कद्दावर नेताओं को बेनकाब कर सकते हैं और उन नेताओं की घटिया राजनीति की पोल खोल सकते हैं। ये सारी जानकारी ले.कर्नल पुरोहित ने अपने कामकाज के दौरान हासिल की है’।
दूसरी तरफ ‘रॉ’ के पूर्व अधिकारी आरएसएन सिंह लिखते हैं, ‘देश में मौजूद सांप्रदायिक ताने-बाने को कमजोर करने और धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने के लिए एक व्यूह रचना की गई। ऐसा करने के पीछे एक ही वजह थी- ‘वोट बैंक की राजनीति।’ उसी के तहत ‘जेहादी आतंक’ की तर्ज पर ‘हिन्दू आतंक’ का तानाबाना बुना गया’।
खैर 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद तेजी से कानूनी कार्रवाई शुरू हुई 15 अप्रैल 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, इसलिए उनकी जमानत पर विचार होना चाहिए। उन पर मकोका भी हटा दिया गया। लेकिन कांग्रेस सरकार ने उनके इर्दगिर्द साजिशों का ऐसा ताना-बाना बुना था कि जमानत में लगातार देरी होती गई।
कर्नल पुरोहित के केस पर अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक, भाजपा नेता डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी और उनके वकील हरीश साल्वे ने अथक प्रयास कर साजिश के तमाम ताने-बाने को तोड़ दिए जिसके फलस्वरूप कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी और आने वाले दिनों में सच्चाई पर लगा हर दाग धूल जाएगा और कर्नल पुरोहित बाइज्जत बरी होंगे।
आपको बता दें कर्नल पुरोहित का पैतृक घर पुणे के यरवदा इलाके में है। इस घर में उनकी मां, पत्नी और उनके दो बच्चे रहते हैं।
साजिश का शिकार बने पुरोहित..
- उनके पड़ोस में रहने वाली भाग्यश्री हार्डिकर ने बताया कि, वे पुरोहित परिवार को पिछले 30 साल से जानते हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रसाद पुरोहित निर्दोष हैं। उन्होंने बताया कि, कर्नल पुरोहित का बर्ताव हमेशा से काफी अच्छा रहा है।
- उन्होंने उनकी वाइफ के नेचर की तारीफ करते हुए कहा कि, उनकी वाइफ हमेशा से स्ट्रांग रही हैं। उन्होंने कभी दिखाया नहीं कि वे किसी तरह से परेशान हैं।
- कर्नल पुरोहित के घर बधाई देने पहुंचे एक पड़ोसी कमल हार्डिकर ने कहा कि, "पुरोहित ने जो कुछ भी किया वह देश के लिए किया। वे पॉलिटिक्स का शिकार हुए हैं। वे ऐसा कभी नहीं कर सकते। ऐसा गलत काम वे कभी नहीं कर सकते हैं। मैं उन्हें बचपन से जानता हूं। वे हमेशा से दूसरों की हेल्प करते रहे हैं। उन्हें पहले ही जमानत मिलनी चाहिए थी।"
- बता दें कि पुणे के यरवदा इलाके में बने कर्नल पुरोहित के घर का नाम सुस्मृति है। इसे उनके पिता ने बनवाया था। कर्नल पुरोहित का बचपन भी इसी घर में बीता।
इस बड़ी जीत में कर्नल पुरोहित की धर्म संगिनी उनकी पत्नी अपर्णा पुरोहित के लड़ने के जज्बे को भी सलाम, जब कर्नल पुरोहित का कोई नाम नही लेना चाहता था तब भी उन्होंने अपने पति पर विश्वास किया और अभूतपूर्व कानूनी लड़ाई लड़ी पर सवाल यहाँ यह भी उठता हैं कि कौन लौटाएगा उनके वो 8 साल जो उन्होंने बगैर पति के दुनिया के अपमान सहते हुए काटे।
पत्नी अर्पणा का संघर्ष
- कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा पुरोहित पेशे से डॉक्टर हैं और वह अपने दो बेटों और सास के साथ पुणे स्थित अपने बंगले में रहती हैं।
- पति को मिली जमानत पर कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा पुरोहित ने कहा ,"मुझे इस बात से राहत है कि प्रसाद हमारे नौ साल के संघर्ष के बाद आखिरकार घर पर होंगे। अब वह हमारे सामने होंगे और परिवार के साथ होंगे। लेकिन, न्याय के लिए हमारा संघर्ष भविष्य में भी जारी रहेगा।"
- उन्होंने आगे बताया कि, "मैं अदालत की सभी कार्यवाहियों में मौजूद रही हूं। फैसले को लेकर मैं बेहद व्यथित और डरी हुई थी। आरोप पत्र में उनका नाम देखकर हम बेहद सदमे में थे। इस सदमे से उबरने में मुझे और मेरे परिवार को काफी समय लगा।"
- अपर्णा आगे बताती हैं, "मेरा परिवार मेरी ताकत रहा है। उस वक्त हमने अपनी जिम्मेदारियां बांट ली थीं। मैंने प्रसाद के मुकदमे और अदालती मामलों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। मेरी सास ने घर संभाल लिया और मेरी ननद ने हमारे खर्चो का बोझ संभाला। इस केस की वजह से मुझे अपनी डॉक्टर की प्रैक्टिस छोड़नी पड़ी। हालांकि मेरे कुछ मित्रों ने मुझे इसे जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।"
कर्नल पुरोहित पेशी पर जाते, दूसरी फ़ोटो में पत्नी के साथ
हमारी सरकारी से माँग हैं इस मामले की निष्पक्ष जाँच हो और कर्नल पुरोहित को फँसाने वाले साजिशकर्ताओं को बेनकाब कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, क्योकि उन्होंने देश की सेना और हिन्दू धर्म पर कालिख पोतने की कोशिश की हैं। यह ना भुला जाए कि जिन कंधो पर देश की सुरक्षा का भार हैं वही देश के बहादुर सैन्य और पुलिस अधिकारी इस तरह के मामलों में फँसाये जायेंगे तो कौन देश की सुरक्षा करेगा। कौन लेगा आतंकवादियों से लोहा जब जान पर खेलकर उनका इनकाउंटर करने वाले अफसरों को मेडल की जगह जेल मिलेगी? प्रश्न विचारणीय हैं सोचिए समझिए और अपने विचार कमेंट बॉक्स में देना ना भूलिये।
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