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आधुनिक युग की यशोधरा : जसोदाबेन


करवाचौथ जैसे पवित्र अवसर पर अगर आधुनिक युग की यशोधरा जसोदाबेन जी को याद ना किया जाए तो यह अनुचित होगा, क्योकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति उनका समर्पण और प्रेम अतुलनीय और आत्मीय हैं।नरेंद मोदी के विरोधी जसोदाबेन जी के मुँह से मोदी जी के लिए कटु वचन निकलवाना चाहते हैं ताकि कंट्रोवर्सी खड़ी करके उसका राजनैतिक लाभ उठा सके पर जसोदाबेन जिन्होंने वाकई अपनी जिंदगी में बहुत तकलीफ उठायी उनके खिलाफ शुभवचनो के सिवाय कुछ नही कहती। जसोदाबेन जी ने उच्चकोटि के जीवन का अनुपम आदर्श स्थापित किया हैं पर मोदी जी के विरोधी उनके वैवाहिक जीवन पर निंदनीय और घटिया टिप्पणी कर अपनी भड़ास मीडिया के माध्यम से अक्सर निकालते रहते हैं। आज हम आपको बतायेंगे नरेंद्र मोदी जी और जसोदाबेन जी के पवित्र रिश्ते का सच, उनकी कुर्बानियो के बारे में।


1968 में गुजरात के छोटे से गाँव वडनगर में एक 15 वर्षीय कन्या जसोदाबेन का विवाह एक चाय वाले के 17 वर्षीय पुत्र नरेन्द्र मोदी से हुआ। बचपन से ही नरेंद्र मोदी जी का आरएसएस से लगाव हो जाने की वजह से उन्होंने यह विवाह कभी स्वीकार नही किया। इस उम्र में विवाह का मतलब ही क्या था दोनो के लिए गुड्डो गुड़ियों के खेल जैसा। इस विवाह के बारे में उनके बड़े भाई सोमा भाई कहते हैं ‘मोदी ने सांसारिक भोग विलास को छोड़कर गृह त्याग कर रखा हैं, 40-50 साल परिवार बहुत ही गरीब था और हम लोग रुढ़िवादी बंधनों में चलने वाले परिवार की संतान हैं।’

सोमा भाई दामोदार दास मोदी आगे कहते हैं, ‘परिवार में शिक्षा नाम मात्र की थी। हमारे माता-पिता ने छोटी उम्र में हमारे भाई का विवाह करवाया। उनके लिए देश सेवा एकमात्र धर्म था। सांसारिक भोगविलास को छोड़कर गृह त्याग कर दिया। आज 45-50 साल बाद भी नरेंद्र भाई परिवार से अलिप्त हैं।’

कम उम्र में शादी होने पर दुल्हन की विदाई कुछ वर्षों के बाद करते हैं जिसे गौना बोला जाता हैं, जब जसोदाबेन गौना के बाद ससुराल गयी तो उनकी शिक्षा के बारे में मोदी जी ने उनसे बात की और उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया ताकि वो आत्मनिर्भर हो सके, और इसी के बाद देशहित के कार्यो के लिए मोदी जी ने अपना घर परिवार सब कुछ त्याग दिया। यह त्याग वैसा ही हैं जैसे गौतम बुद्ध ने अपनी पत्नी और बच्चे को संसार के लिए त्याग दिया, महापुरुष ऐसे ही होते हैं उन्हें सांसारिक बन्धनों में नही बांधा जा सकता। इस बात के लिए ना तो जसोदाबेन और ना ही उनके परिवार के लोग उन्हें दोषी मानते हैं वो कहते हैं  कि ‘जसोदाबेन के मन में मोदी के लिए कभी कोई दुर्भावना नहीं आई क्योंकि घर के बुजुर्ग कहते थे कि नरेंद्र मोदी को कभी शादी नहीं करनी थी पर उनके पिताजी ने उनकी शादी जबरदस्ती करवा दी।’

जसोदाबेन के परिवार वाले आगे कहते हैं कि जब भी कोई मोदी के बारे में कुछ आपत्तिजनक बोलता था तो वह उसे चुप करा देती थीं। यहाँ तक की जसोदाबेन ने कभी मोदी या अपनी शादी को लेकर कोई मलाल व्यक्त नहीं किया। मोदी से अलगाव पर जशोदाबेन ने बस इतना कहा ”दर्द निजी है किसी और से कहने से क्या फायदा? ये भाग्य की बात है।”- शादी न चलने पर “इसमें उनकी क्या गलती? ”वो (मोदी) आगे बढ़े हैं अपनी बुद्धिमानी के बल पर। उनके पीएम बनने पर यही उनकी क्षमता है।”

 
जशोदाबेन ने अपने एक इंटरव्‍यू में भी बताया कि मोदी ने उनसे साफ कह दिया था कि वह पूरे देश में यात्रा करेंगे और ऐसे में जशोदाबेन जहां जाना चाहें जा सकती हैं। जब जशोदाबेन वडानगर उनके परिवार के साथ रहने के लिए पहुंची तो मोदी ने उनसे सवाल किया कि वह अपने ससुराल क्‍यों आईं।
मोदी ने उनसे कहा कि वह अभी बहुत छोटी हैं और ऐसे में उन्‍हें अपनी पढ़ाई पर ही ध्‍यान देना चाहिए। जशोदाबेन ने इंटरव्‍यू में साफ कर दिया कि मोदी और उनके घर को छोड़ने का निर्णय सिर्फ उनका ही था। इस निर्णय को लेकर उनके और मोदी के बीच कभी कोई तनाव नहीं हुआ और न ही मोदी ने उनसे इस बारे में कोई सवाल किया।

जशोदाबेन के मुताबिक उन्‍हें आज भी याद है कि जब वह मोदी के घर गई थीं तो मोदी ने उनसे कहा था कि वह चाहते हैं कि जशोदाबेन अपनी पढ़ाई पूरी करें। जशोदाबेन और मोदी का ज्‍यादातर समय बस इसी चर्चा में गुजर जाता था। शायद ही लोगों को मालूम हो कि मोदी रसोई के कामकाज में भी रुचि दिखाते थे।
लगभग 40 साल तक स्कूल में अध्यापिका रही जशोदाबेन अब ठीक से सुन नहीं पाती हैं। वे बनांसकांठा जिले के राजोशाना गांव में एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती ‌थीं। जशोदाबेन यह भी बताती हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए वे सप्ताह में चार दिन व्रत करती हैं और चावल नहीं खातीं।

जब जसोदाबेन को मोदी जी से कोई दिक्कत नही हैं तो फिर पता नही क्यो मोदी जी के विरोधियो को जसोदाबेन की इतनी चिंता हैं जिसे वो कुत्सित तरीके से व्यक्त करने से बाज नही आते और आज इसकी तुलना ट्रिपल तलाक की पीड़ित मुस्लिम महिलाओं से कर रहे हैं। भाई, जसोदाबेन ने कभी मोदी जी को दोषी नही माना अगर मानती तो वो भी मुस्लिम महिलाओं की तरह कोर्ट की शरण लेती।

 
यह तो रही मोदी जी की पत्नी की बात अब आगे आपको बताती हूँ उनके परिवार के बारे में तभी आप मोदी जी की देश के प्रति समर्पण समझ पायेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी और उनकी पत्नी हीराबेन के छह बच्चों में से तीसरे नंबर पर हैं। जिन्होंने अपने परिवार को गुजरात का सीएम और फिर देश का पीएम बनने के बाद भी दुनिया की चका-चौध से दूर रखा जो लोगों को उनके निःस्वार्थ जीवन के बारे में बताने के लिए काफी है। पीएम नरेंद्र मोदी परिवार का हर सदस्य लाइमलाइट से दूर किसी आम आदमी की तरह ही जिंदगी बिता रहा है। आइए जानते हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाइयों के बारे में…


सोमभाई मोदी: पीएम नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमनाथ मोदी गुजरात में बुजुर्गों की देखभाल के लिए संस्था चलाते हैं। सोमभाई कहते हैं, मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मैं देश के 125 करोड़ नागरिकों में से एक हूं। आपको बता दें कि सोमभाई मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे आज तक नहीं मिले हैं।

अमृतभाई मोदी: पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे बड़े भाई अमृतभाई मोदी साल 2005 में एक प्राइवेट कंपनी से बतौर फिटर रिटायर हुए थे और उनकी तनख्वाह सिर्फ 10 हजार रुपए थी। अमृतभाई मोदी फिलहाल अहमदाबाद के गढ़लोढ़िया इलाके में अपने बेटे संजय (47), उसकी पत्नी और दो बच्चों के साथ चार कमरे के घर में दुनिया की चका-चौध से दूर जिंदगी बिता रहे हैं। पीएम मोदी से अमृतभाई मोदी कि अब तक सिर्फ दो बार ही मुलाकात हो पाई है। पहली साल 2003 में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे और दूसरी बार 16 मई 2014 को जब भाजपा ने लोकसभा चुनाव जीता था तब वे पीएम मोदी से मिले थे।

प्रह्लाद मोदी – प्रह्लाद मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई हैं और गुजरात के फेयर प्राइस शॉप ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए पीडीएस सिस्टम में पारदर्शिता को लेकर एक मुहिम शुरू की थी, जिसका उनके छोटे भाई प्रह्लाद मोदी ने विरोध किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाईयों के अलावा पीएम के अन्य भाई, भतीजों, भतीजियों और उनके चचेरे भाइयों की कहानी भी संघर्षो भरी है।


पीएम मोदी के चाचा नरसिंहदास के बेटे अशोकभाई वाडनगर में एक छोटी दुकान में पतंग, पटाखे और स्नैक्स बेचते हैं। अशोकभाई से बड़े भरतभाई वडनगर से दूर पालनपुर के पास लालवाड़ा गांव के एक पेट्रोल पंप पर काम कर अपना गुजर बसर करते हैं।

यहाँ यह उल्लेख करना बेहद जरूरी होगा की नोटबंदी के बाद 14 नवंबर को जब पीएम मोदी गोवा में एक सभा को संबोधित कर रहे थें, तब उन्होंने भावुक होकर कहा था, ”मैं इतनी ऊंची कुर्सी पर बैठने के लिए पैदा नहीं हुआ, मेरा जो कुछ था, मेरा परिवार, मेरा घर…मैं सब कुछ देशसेवा के लिए छोड़ आया।” इतना कहते समय उनका गला भर्रा गया था।

ऐसे हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, पत्नी परिवार घर सब देश की सेवा के लिए छोड़ दिया उन्होंने, और लोग उन पर अनर्गल आरोप लगाते हैं, देश के बाकी राजनैतिक परिवार वो दिल्ली में गांधी परिवार, यूपी का मुलायम जी का परिवार, लालू जी का परिवार या किसी भी नेता का परिवार उठाकर देख लीजिए की वो आज किस स्तर पर हैं ।

राजनीति ऐसी सुचिता और नैतिकता की होती हैं यह नही की राजनीति में आने के बाद लाभ के पदों पर अपने परिवार को तो छोड़िए रिश्तेदारों और गांववालों तक को अनुचित लाभ दे उन्हें सत्ता का सुख प्रदान किया जाए।
सोशल मीडिया पर चल रही बहस की झलकियां















टिप्पणियाँ

  1. हमें गर्व है कि नरेन्द्र मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं. बांकी जो लोग असंतुष्ट हैं वे हमेशा रहेंगे क्योंकि वे मानव रूप में दानव हैं.

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  2. परम् पूजनीय नरेंद्र मोदी जी, हमेशा ही 125 करोड़ जनता की बात करते है , यही वजह है जो उन्हें औरों से अलग करता है, उनके मार्गदर्शन में भारतवर्ष विश्वविधाता बनेगा ।। ये यकीन ही हकीकत बनेगा ।
    जय हिंद ।
    वन्दे मातरम ।

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  3. Jasoda ben ke bare me bahut acchi jankari di aapne thank you

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